Sunday, September 8, 2024

Black Salt Export : अब इंग्लैंड और अमेरिका भी चखेगा यूपी के काला नमक स्वाद, पहली बार अमेरिका जाएगा यूपी का काला नमक

Black Salt Export , लखनऊ : अब इंग्लैंड और अमेरिका भी चखेगा कालानमक चावल का स्वाद. करीब सात दशक बाद इंग्लैंड और पहली बार अमेरिका जाएगा कालानमक चावल. इसके पहले नेपाल, सिंगापुर, जर्मनी, दुबई आदि देशों को भी कालानमक चावल का निर्यात किया जा चुका है.

Black Salt Export : कभी इंग्लैंड रहा है कालानमक के स्वाद और सुगंध का मुरीद

इंग्लैंड तो कालानमक के स्वाद और सुगंध का मुरीद रह चुका है. बात करीब सात दशक पुरानी है. तब गुलाम भारत में देश भर में अंग्रेजों के बड़े बड़े फॉर्म हाउस हुआ करते थे. ये इतने बड़े होते थे कि इनके नाम से उस क्षेत्र की पहचान जुड़ जाती थी. मसलन बर्डघाट, कैंपियरगंज आदि. सिद्धार्थनगर भी इसका अपवाद नहीं था. उस समय सिद्धार्थ नगर में अंग्रेजों के फार्म हाउसेज में कालानमक धान की बड़े पैमाने पर खेती होती थी. अंग्रेज कालानमक के स्वाद और सुगंध से वाकिफ थे. इन खूबियों के कारण इंग्लैंड में कालानमक के दाम भी अच्छे मिल जाते थे. तब जहाज के जहाज चावल इंग्लैंड को जाते थे. करीब सात दशक पहले जमींदारी उन्मूलन के बाद यह सिलसिला क्रमशः कम होता गया, और आजादी मिलने के बाद खत्म हो गया.  इस साल पहली बार इंग्लैंड को 5 कुंतल चावल निर्यात किया जाएगा. इसी क्रम में पहली बार अमेरिका को भी 5 कुंतल चावल का निर्यात होगा.

योगी सरकार द्वारा ओडीओपी घोषित करने के बाद बढ़ता ही गया कालानमक का क्रेज

उल्लेखनीय है कि जब से योगी सरकार ने कालानमक धान को सिद्धार्थ नगर का एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) घोषित किया है तबसे देश और दुनिया में स्वाद, सुगंध में बेमिसाल और पौष्टिकता में परंपरागत चावलों से बेहतर कालानमक धान के चावल का क्रेज लगातार बढ़ रहा है. जीआई मिलने से इसका दायरा भी बढ़ा है. योगी सरकार ने इसे सिद्धार्थनगर का एक जिला एक उत्पाद ओडीओपी घोषित करने के साथ इसकी खूबियों की जबरदस्त ब्रांडिग भी की. इसी के रकबे उपज और मांग में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई.

तीन साल में तीन गुने से अधिक बढ़ा एक्सपोर्ट

राज्यसभा में 17 दिसंबर 2021 को दिए गए आंकड़ों के अनुसार 2019/2020 में इसका निर्यात 2 फीसद था. अगले साल यह बढ़कर 4 फीसद हो गया. 2021/2022 में यह 7 फीसद रहा. कालानमक धान को केंद्र में रखकर पिछले दो दशक से काम कर रही गोरखपुर की संस्था पीआरडीएफ (पार्टिसिपेटरी रूरल डेवलपमेंट फाउंडेशन) के चेयरमैन पदमश्री डा आरसी चौधरी के अनुसार पिछले दो वर्षो के दौरान उनकी संस्था ने सिंगापुर को 55 टन और नेपाल को 10 टन कालानमक चावल का निर्यात किया. इन दोनों देशों से अब भी लगातार मांग आ रही है. इसके अलावा कुछ मात्रा में दुबई और जर्मनी को भी इसका निर्यात हुआ है. पीआरडीएफ के अलावा भी कई संस्थाएं कालानमक चावल के निर्यात में लगीं हैं. डॉक्टर चौधरी के अनुसार निर्यात का प्लेटफार्म बन चुका है. आने वाले समय में यह और बढ़ेगा.

एक नजर में कालानमक  की खूबियां

दुनियां का एक मात्र प्राकृतिक चावल जिसमें वीटा कैरोटिन के रूप में विटामिन ए उपलब्ध है, अन्य चावलों की तुलना में इसमें प्रोटीन और जिंक की मात्रा अधिक होती है. जिंक दिमाग के लिए और प्रोटीन हर उम्र में शरीर के विकास के लिए जरूरी होता है. इसका ग्लाईसेमिक इंडेक्स कम (49 से 52%) होता है. इस तरह यह शुगर के रोगियों के लिए भी बाकी चावलो की अपेक्षा बेहतर है.

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