छत्तीसगढ़ में आरक्षण (Reservation) के लेकर सीएम भूपेश बघेल और राज्यपाल अनुसूइया उईके के बीच तनाव की स्थिति बन गई है. सोमवार को सीएम भूपेश बघेल में आरोप लगाया कि राज्यपाल बीजेपी के हाथों की कठपुतली बन गई है इसलिए सर्वसम्मति से पास किए गये आरक्षण बिल को मंजूरी नहीं दे रही हैं. राज्यपाल को कानूनी सलाह देने वाले उन्हें गलत सलाह दे रहे हैं. सीएम बघेल ने कहा कि राज्यपाल ने पहले इसपर तुरंत हस्ताक्षर करने की बात कही थी और अब अलग-अलग विभागों से सलाह लेने के नाम पर बिल को अटकाया जा रहा है. इस मुद्दे छत्तीसगढ़ में अब राजनीति धीरे-धीरे गरमाने लगी है .
भूपेश बघेल ने यहाँ तक कहा कि क्या विधान सभा से बड़ा कोई विभाग है? जब विधानसभा ने सर्वसम्मति से नए आरक्षण (Reservation) प्रस्ताव को मंजूरी दे दी तो फिर अलग-अलग विभागों की अनुमति क्यों चाहिये?
छत्तीसगढ़ राजभवन बना बीजेपी की कठपुतली
एक कार्यक्रम के लिए बिलासपुर पहुंचे सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य में जो हो रहा है वो ठीक नहीं है. राजभवन के अधिकारी बीजेपी के इशारों पर नाच रहे हैं.
ये तो अच्छी बात है कि भारत सरकार ने देश में खुद देश में पिछले वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया हुआ है.
राजभवन और सीएम के बीच क्यों है तकरार
छत्तीसगढ़ में हाइकोर्ट द्वारा आरक्षण (Reservation) को रद्द कर दिये जाने के बाद राज्य की भूपेश बघेल सरकार ने विधानसभा में सर्वसम्मति से एक आरक्षण पर प्रस्ताव पास कराया जिसमें 32 प्रतिशत आरक्षण (Reservation) अनूसूचित जन जाति के लिए, 13 प्रतिशत अनुसूचित जाति के लिए , पिछडा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत और EWS के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव रखा गया था. कुल मिलाकर राज्य में 72 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास किया गया था. ये प्रस्ताव सरकार ने 2 दिसंबर 2022 को पास किया और उसी दिन राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेज दिया था लेकिन राज्यपाल अनुसूइया उनके ने ये कहते हुए प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया कि सरकार ने जो इतना बड़ा आरक्षण (Reservation) प्रस्ताव पास किया है उसका आधार क्या है. राज्यपाल ने कहा कि ये मामला बहुत बड़ा है. जब तक मैं मामले में संतुष्ट नहीं हो जाती हूं, अपनी मंजूरी नहीं दूंगी.
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आरक्षण बिल के अभाव में एडमिशन – नियुक्तियां सब प्रभावित
गौरतलब है कि राज्य में आरक्षण (Reservation) को लेकर सभी पार्टियां एकमत है. राज्य में आरक्षण बिल के अभाव में अलग-अलग संस्थानों में कोटा सिस्टम प्रभावित है, और नई नियुक्तियों के लिए वैकेंसी नहीं निकाली जा पा रही है.
बीजेपी कर रह है दोहरी राजनीति
ऐसे में अब आरक्षण (Reservation) का मुद्दा जनता का मुद्दा बनता जा रहा है और भूपेश बघेल सरकार आने वाले चुनावों के मद्देनजर इसका भरपूर इस्तेमाल कर रही है. सीएम बघेल ने बीजेपी को इस मुद्दे पर घेरते हुए कहा कि इसमें हमारी कोई गलती नहीं है. संविधान की तरफ से राज्यों को ये अधिकार दिया गया है कि राज्य विशेष परिस्थियों में आरक्षण बढ़ा सकते हैं. बीजेपी सदन के अंदर आरक्षण प्रस्ताव का समर्थन कर रही है वहीं बाहर आकर इसका विरोध कर रही है, ये दोमुंही राजनीति है.