बीजेपी के सांसद मनोज तिवारी ने एक वीडियो शेयर कर आप पार्टी के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम पर आरोप लगाया है कि वो हिंदू विरोधी हैं. मनोज तिवारी ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा हैं “इतना हिंदू विरोधी क्यों है AAP ? हिंदू धर्म के ख़िलाफ़ शपथ ले भी रहे है और दिला भी रहे है ये aap के मंत्री #HinduVirodhikejriwal”
इतना हिंदू विरोधी क्यों है AAP ? हिंदू धर्म के ख़िलाफ़ शपथ ले भी रहे है और दिला भी रहे है ये aap के मंत्री #HinduVirodhikejriwal pic.twitter.com/uGeph1m9q6
— Manoj Tiwari 🇮🇳 (@ManojTiwariMP) October 7, 2022
इतना ही नहीं मनोज तिवारी ने बात में मीडिया से बात करते हुए कहा कि “यह दंगा कराने की कोशिश है. यह अरविंद केजरीवाल का क्रूर चेहरा है और अगर ऐसा नहीं है तो वे अपने मंत्री को 24 घंटे में निलंबित करें. अगर वे ऐसा नहीं करते तो यह उनका ही बयान माना जाएगा. हम उनकी पुलिस में शिकायत करने जा रहे हैं”
मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने दी सफाई
मनोज तिवारी के आरोप के जवाब में मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने अपनी सफाई भी पेश की. उन्होंने कहा, “भाजपा देश द्रोही है. अगर मेरी आस्था बौद्ध धर्म में है तो उससे किसी को क्या दिक़्कत है? भाजपा को शिकायत करनी है तो वह करें. भारत का संविधान हमें किसी भी धर्म को मानने की आज़ादी देता है. भाजपा की ज़मीन खिसक रही है और वह आम आदमी पार्टी से डरती है”
वैसे अभी तक इस मुद्दे पर दिल्ली के सीएम का कोई बयान नहीं आया है. सूत्रों का कहना है कि गुजरात में चुनाव है से वक्त में अरविंद केजरीवाल हिंदूओं को नाराज़ करना नहीं चाहेंगे.
इसलिए अरविंद केजरीवाल अपने मंत्री गौतम पर करवाई कर सकते है.
क्या बाबा साहब अम्बेडकर के खिलाफ भी दर्ज होगा मुकदमा
बीजेपी सांसद मनोज तिवारी आज जिस शपथ को हिंदु विरोधी और आप से जोड़ रहे है दरअसल ये वो 22 शपथ है जो संविधान के रचेता बाबा साहब अंबेडकर ने खुद भी ली थी और अपने साढ़े तीन लाख अनुयायियों को भी दिलाई थी. ये तो सब जानते है कि बाबा साहब ने हिंदु धर्म त्याग दिया था. हिंदु धर्म त्यागने के बीस साल बाद उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया था. नागपुर की दीक्षाभूमि में 14 अक्टूबर 1956 को अंबेडकर ने विधिवत बौद्ध धर्म अपना लिया था. ठीक इसी दिन महाराष्ट्र के चंद्रपुर में भी अंबेडकर ने सामूहिक धर्म परिवर्तन का एक कार्यक्रम ऱखा था. इस कार्यक्रम में बाबा साहब ने अपने साढ़े तीन लाख अनुयायियों को ये 22 शपथ दिलवाईं थी. शपथ का सार ये था कि बौद्ध धर्म अपनाने के बाद वो किसी हिंदू देवी देवता में विश्वास नहीं रखेंगे. न कर्म कांड और पूजा-पाठ करेंगे. खासकर ब्राह्मणों से किसी किस्म की कोई पूजा नहीं कराएंगे. इसके साथ ही इन 22 कसमों में समानता और नैतिकता को अपनाने की बात भी थी.
जानिए क्या हैं वो कसमें जिनसे बीजेपी को है परेशानी
• मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में विश्वास नहीं करूँगा. न ही मैं उनकी पूजा करूँगा.
• मैं भगवान के अवतार माने जाने वाले राम और कृष्ण में कोई आस्था नहीं रखूँगा. मैं उनकी पूजा भी नहीं करूँगा.
• मैं गौरी, गणपति और हिन्दुओं के अन्य देवी-देवताओं की पूजा नहीं करूंगा. न ही उनमें आस्था रखूँगा.
• मैं भगवान के अवतार में विश्वास नहीं करता हूँ.
• मैं भगवान बुद्ध को विष्णु के अवतार नहीं मानता और न कभी मानूंगा. मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूँ.
• मैं पिंड-दान नहीं करूँगा. न ही श्रद्धा (श्राद्ध) में भाग लूँगा.
• मैं बुद्ध के सिद्धांतों और उपदेशों का उल्लंघन नहीं करुंगा.
• मैं ब्राह्मणों द्वारा की जाने वाली किसी पूजा या समारोह को स्वीकार नहीं करूँगा.
• मैं मनुष्य की समानता में विश्वास करता हूँ.
• मैं समानता स्थापित करने का प्रयास करूँगा.
• मैं बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग का अनुसरण करूँगा.
• मैं बुद्ध द्वारा निर्धारित परमितों का पालन करूँगा.
• मैं सभी जीवित प्राणियों की रक्षा करुंगा और उनके प्रति दया और प्यार का भाव रखूंगा.
• मैं चोरी नहीं करूँगा.
• मैं झूठ नहीं बोलूँगा.
• मैं कामुक पापों को नहीं करूँगा.
• मैं शराब, ड्रग्स जैसे मादक पदार्थों का सेवन नहीं करूँगा.
• मैं महान आष्टांगिक मार्ग के पालन का प्रयास करूँगा एवं सहानुभूति और अपने दैनिक जीवन में दयालु रहने का अभ्यास करूँगा.
• मैं हिंदू धर्म का त्याग करता हूँ. और मानता हूं कि ये मानवता के लिए हानिकारक है. साथ ही ये उन्नति और मानवता के विकास में बाधक है क्योंकि यह असमानता पर आधारित है, और स्व-धर्मं के रूप
में बौद्ध धर्म को अपनाता हूँ.
• मैं दृढ़ता के साथ यह विश्वास करता हूँ की बुद्ध का धम्म ही सच्चा धर्म है.
• मुझे विश्वास है कि मैं (इस धर्म परिवर्तन के द्वारा) फिर से जन्म ले रहा हूँ.
• मैं गंभीरता एवं दृढ़ता के साथ घोषित करता हूँ कि मैं इसके (धर्म परिवर्तन के) बाद अपने जीवन का बुद्ध के सिद्धांतों व शिक्षाओं एवं उनके धम्म के अनुसार मार्गदर्शन करूँगा.
अब सवाल ये उठता है कि जब ये शपथ इतनी पुरानी है तो मनोज तिवारी अब इसपर आपत्ति क्यों उठा रहे है. क्या इसकी वजह ये तो नहीं की मनोज तिवारी को जानकारी ही नहीं है कि ये शपथ संविधान निर्माता बाबा साहब अम्बेडकर ने भी ली थी. वैसे आज के दौर में जानकारी का अभाव भी कभी कभी बड़े विवाद खड़े कर देता है.