बिहार में लागू हुए 75 % आरक्षण के खिलाफ Patna HC में दायर याचिका पर राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट में नए आरक्षण कानून को असंवैधानिक बताते हुए रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई से इनकार कर दिया है. हलांकि कोर्ट ने नीतीश सरकार से इस मामले में जवाब भी मांगा है. इस मामले में अगली सुनवाई नए साल में यानी 12 जनवरी को होगी.
बीजेपी की साजिश हुई बेनकाब-विजय चौधरी
बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ाए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर मंत्री विजय चौधरी ने कहा की हम कोर्ट के आरक्षण का दायरा बढ़ाने के फैसले पर रोक लगाने से इनकार करने के फैसले का स्वागत करते हैं. कुछ लोग शुरू से इसपर रोक लगाने की कोशिश कर रहे थे कुछ लोगों ने जाति आधारित गणना को भी रोकने की कोशिश की है ये लोग दलितों के विरोधी है. सरकार ने आरक्षण के फॉर्मूले के आधार पर ही बढ़ी हुई जनसंख्या के आधार पर फैसला लिया है. सरकार ने कुछ गलत नहीं किया आज इनकी साजिश नाकाम हुई है. वही मंत्री विजय चौधरी ने बीजेपी के बड़े नेता ने पहले ही भविष्यवाणी की थी. कुछ दिन बाद फैसले को चुनौती दी ये साजिश का हिस्सा है, न्यायालय अब फैसला लेगी क़ानून को बीच में रोकने की जो साजिश थी वो फेल हो गई
बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ाए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट के सुनवाई से इनकार करने पर मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि ये बीजेपी की साजिश थी जिसे हाईकोर्ट ने बेनकाब कर दिया है. #Bihar #biharnews #biharreservation #BJP #patnahighcourt pic.twitter.com/qH4IWQPVdt
— THEBHARATNOW (@thebharatnow) December 2, 2023
याचिका ने आरक्षण का दायरा बढ़ाने को बताया था असंवैधानिक
आपको बता दे कि पटना हाईकोर्ट ने इसके खिलाफ दायर याचिका में नीतीश सरकार के इस फैसले को असंवैधानिक बताया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि यह समानता के अधिकार का उल्लंघन है,क्योंकि राज्य सरकार ने जाति आधारित गणना के आधार पर आरक्षण का दायरा बढ़ाया है. जबकि इसे सामाजिक या शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के प्रतिनिधित्व के आधारित बढ़ाना चाहिए था.
बिहार विधानसभा में पिछले महीने आरक्षण का दायरा बढ़ाने का बिल पारित हुआ था. इसके तहत एससी, एसटी, ओबीसी और ईबीसी के आरक्षण की सीमा 50 से बढ़ाकर 65 फीसदी कर दी गई. जिसमे से ईडब्लूएस का 10 फीसदी आरक्षण अलग से है. इस तरह राज्य में कुल आरक्षण 75 फीसदी हो गया है. सीएम नीतीश कुमार ने कहा था, ”एससी और एसटी के लिए कोटा कुल मिलाकर 17% है. इसे बढ़ाकर 22% किया जाना चाहिए. इसी तरह, ओबीसी के लिए आरक्षण भी मौजूदा 50% से बढ़ाकर 65% किया जाना चाहिए.” इस नए बिल के अनुसार एसटी के लिए कोटा दोगुना कर दिया जाएगा, एक से दो प्रतिशत, जबकि एससी के लिए इसे 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया जाएगा. ईबीसी के लिए , कोटा 18 प्रतिशत से बढ़कर 25 प्रतिशत होगा, जबकि ओबीसी के लिए, यह 12 प्रतिशत से बढ़कर 15 प्रतिशत हो जाएगा.
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