पटना (अभिषेक झा-ब्यूरोचीफ) .अपने कड़क अंदाज और सख्त कार्यशैली को लेकर विवादों में रहने वाले IAS K K Pathak इन दिनों काफी चर्चा में हैं. के के पाठक K K Pathak 8 जनवरी से 16 जनवरी तक छुट्टी पर गए हुए हैं लेकिन छुट्टी के बीच के के पाठक के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पद से इस्तीफे की खबर काफी तेजी से फ़ैल रही है.

K K Pathak से जुड़ा पत्र हुआ वायरल
सोशल मीडिया पर के के पाठक से जुड़ा एक पत्र वायरल हुआ, जिसमें शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पद से स्वत: परित्याग करने की बातें लिखी हुई है. पत्र वायरल होने के बाद जो बातें सामने आई, उसमें ऐसा माना जाता है कि किसी राज्यस्तरीय वरीय अधिकारी को छुट्टी पर जाने के क्रम में फॉर्म 202 भरा जाता है और ये वायरल पत्र इसी का परिणाम है. के के पाठक 8 जनवरी से 16 जनवरी तक छुट्टी पर हैं. लेकिन इन सबके बीच बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर का के के पाठक को लेकर जो बयान सामने आया हैं, उसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
सवाल है—
क्या वाकई के के पाठक इस्तीफा दे चुके हैं ?
क्या लंबी छुट्टी पर के के पाठक का जाना इस बात का संकेत है ?
क्या के के पाठक को शिक्षा विभाग में अब काम करने का मन नहीं है ?
या के के पाठक किसी सियासी साजिश के शिकार हो गए हैं ?
चंद्रशेखर ने मीडिया के सवालों पर क्या कहा?
ये सुलगते सवाल इसलिए खड़े हो गए हैं क्योंकि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के पद से के के पाठक के इस्तीफे की खबर के बीच शिक्षा मंत्री के इस बयान ने कयासों का बाजार और गर्म कर दिया. बेगूसराय पहुंचे शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने मीडिया के सवालों पर कहा कि के के पाठक को काम करने का मन अब नहीं है,तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया. इसमें हम क्या करें. शिक्षा मंत्री के इस बयान के बाद के के पाठक के इस्तीफे की चर्चा के इर्द-गिर्द कुछ असामान्य स्थिति की सुगबुगाहट साफ झलकने लगी है. ऐसा स्पष्ट हो गया है कि के के पाठक प्रकरण को लेकर सब कुछ सामान्य नहीं है.
16 जनवरी के बाद के के पाठक वापस ऑफिस लौटेंगे या नहीं ?
के के पाठक की नाराज़गी की खबरें भी तेजी से फ़ैल रही है. ऐसी चर्चाएं हैं कि के के पाठक छुट्टी से यानी 16 जनवरी के बाद वापस ऑफिस लौटेंगे या नहीं, इसपर सस्पेंस बरकरार है और इस संदर्भ में अब नीतीश सरकार को फैसला लेना है. के के पाठक की गैरमौजूदगी में वैद्यनाथ यादव को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पद का संपूर्ण प्रभार दिया गया है.
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बता दें कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के पद पर कार्यभार संभालने के बाद के के पाठक काफी विवादों में रहे हैं. शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और के के पाठक के बीच क्या कुछ हुआ,वो बताने की जरूरत नहीं है. इससे इतर शिक्षा विभाग में कई कड़े फैसले को लेकर के के पाठक के खिलाफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से शिकायतें भी की. सरकार में शामिल तमाम पार्टियों के विधायक और विधान पार्षदों ने के के पाठक को हटाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की. इन तमाम चीजों का अवलोकन करते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा है कि के के पाठक 16 जनवरी के बाद शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पद वापस लौटेंगे या नहीं, ये सस्पेंस है.
नीतीश कुमार के लिए के के पाठक दो धारी तलवार
अब देखना दिलचस्प होगा कि के के पाठक वापस इस पद पर लौटते हैं या नीतीश कुमार फैसला लेते हैं ? अगर के के पाठक अपने काम पर वापस नहीं लौटते हैं या तो ये मान लिया जायेगा कि कि बिहार में अभी बी किसी ईमानदार और सख्त अफसर को काम करने की आजादी नहीं है. अफसर अगर व्यवस्था में सुधार के लिए कड़े कदम उठाते हैं तो उन्हें व्यवस्था का ही शिकार बनना पड़ता है. के के पाठक के प्रकरण से एक बार फिर से बिहार में नीतीश सरकार दोधारी तलवार पर चलने का स्थिति में है. अगर के के पाठक पर कार्रवाई होती है या किसी भी तरह से वो पद से हटते हैं तो ईमानदार अफसरों के मनोबल पर बुरा प्रभाव पड़ना निश्चित है.और अगर नीतीश कुमार एक अफसर की गरिमा और बनाये रखन के लिए उनका साथ देते हैं तो अपनी ही पार्टी के कई विधायकों और पार्षदों के कोप का शिकार हो सकते हैं.