पटना : बिहार में जातीय जनगणना (bihar caste census) का दूसरा चरण शुरू होने वाला है. दूसरा चरण शुरू होने से पहले राज्य सरकार ने सभी जातियों के लिए एक कोड नंबर जारी किया है. इन नंबरों से जाति की पहचान तय की जायेगी . ये ठीक उसी तरह होगा जैसे क्लास रूम में रोल नंबर बोलते ही छात्र की पहचान हो जाती है.
बिहार में कुल 216 जातियां हैं जिन्हें एक नंबर कोड दिया गया है. सबसे पहला नंबर अगरिया जाति को मिला है. वहीं अगड़ी जातियों को जो कोड नंबर दिये गये हें उनके मुताबिक
कायस्थ को 22, ब्राह्मण को 128, राजपूत को 171 और भूमिहार को 144 नंबर कोड मिला है.
ओबीसी जातियों में बनियों के लिए 124 नंबर कोड दिया गया है. बनिया के अंतर्गत सूड़ी, गोदक,मायरा , रोनियार,पंसारी, मोदी, कसेरा , केसरवानी, ठठेरा, कलवार, कमलापुरी वैश्य,माहिरी, बंगी वैश्य पोद्दार, अग्रहरी, कसौधन, गंधवनिक, बाथम, गोलदार शामिल हैं.
इसके अलावा कुर्मी को 25, कुशवाहा कोयरी को 27 , यादव ( ग्वाला, अहीर, गोरा, घासी, मेहर, सदगोप, लक्ष्मीनारायण गोला को – 167 नंबर दिया गया है. पहले नंबर पर अगरिया जाति है . केवानी जाति को 215 और अन्य को 216 नंबर कोड मिला है.
इन कोड्स के आधार पर जो जनगणना होगी, उसकी जानकारी पोर्टल और ऐप पर जारी किये जायेंगे. जनगणना के दौरान सभी जातियों के आगे उनका कोड लिखा जायेगा.एक व्यक्ति की गणना एक ही स्थान पर होगी, सरकार के मुताबिक इन कोड का प्रयोग आगे की योजनाओं के लिए किया जायेगा. 15 अप्रैल से शुरु होने वाली जनगणना में केवल पटना में 12 हजार 831 गणनाकर्मी 15 अप्रैल से 15 मई तक 73 लाख 52 हजार 729 लोगों की गणना करेंगे. जनगणना के दौरान ये तय किया जायेगा कि एक व्यक्ति की गणना दो बार ना हो. अगर किसी की गणना दो बार हो भी जाती है तो ऐप उसे पकड़ेगा. इस तरह से कोड नंबर से जनगणना कराने के पीछे ये तर्क दिया जा रहा है कि भविष्य में आने वाले आवेदनों और नियुक्तियों के लिए भी कोड के आधार पर गणना करने पर आसानी होगी.