बिहार में महागठबंधन के जाने और एनडीए सरकार के आने के बीच पटना में मांझी के घर के बाहर लगे एक पोस्टर ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा था. पोस्टर पर लिखा था, “बिहार में बाहर है, बिना मांझी सब बेकार है.”
जी हां हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के सुप्रीमों जीतन राम मांझी के पास सत्ता की चाबी है ये तो साफ है और अब ये भी साफ है कि मांझी एनडीए से नाराज़ है. उन्होंने दो दिन पहले ही याद दिलाया था कि उनके पास महागठबंधन में सीएम बनने का ऑफर है.
मांझी ने मांगे दो मंत्री और बेटे के लिए बड़ा विभाग
दो दिन पहले जीतन राम मांझी ने बयान दिया था कि जब निर्दलीय को एक मंत्रालय मिल सकता है तो उनकी पार्टी को दो मंत्रालय तो मिलने ही चाहिए. मांझी ने कहा था कि इस बारे में उनकी अमित शाह से लेकर नित्यानंद राय जैसे नेताओं से बात हो गई है. मांझी ने ये बी कहा था कि उन्हें यकीन है कि एनडीए में उनके साथ अन्याय नहीं होगा.
लेकिन ये दो दिन पुरानी बात है. अब हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) यानी की किंग मेकर जीतन राम मांझी ने अपनी नाराज़गी की एक और वजह बता दी है. मांझी ने एक कार्यक्रम में कहा “हम संतुष्ट नहीं…जो मंत्रालय हमें दिया जाता था वही हमारे पुत्र को भी दिया गया,क्या हम उच्च विभाग के लायक नहीं?” ऐसा कहा जा रहा है कि मांझी ग्रामीण विकास मांग रहे है.
मांझी के समर्थन में आए मुकेश सहनी और चिराग पासवान
हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी की मांग को समर्थन भी मिलने लगा है. VIP सुप्रीमो मुकेश सहनी ने कहा कि, मांझी कर रहे सिर्फ दो मंत्री पद की मांग, लेकिन हम उनके लिए मुख्यमंत्री पद की मांग करते हैं.
सिर्फ मुकेश सहनी ही नहीं लोकजन शक्ति पार्टी पासवान के मुखिया चिराग पासवान ने भी मांझी की बात सुने जाने की सिफारिश की है. चिराग पासवान ने कहा कि मुझे नहीं पता उनकी एनडीए से क्या बात हुई है. लेकिन आज की परिस्थिति में उनकी पार्टी महत्वपूर्ण है ऐसे में उनकी बात सुनी जानी चाहिए. उनके शब्दों में कहूं तो उनके साथ अन्याय नहीं होना चाहिए.
खेला तो होगा- अशोक चौधरी
एनडीए की सरकार बनने के बाद पहले आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने ये कहकर सियासी पारा बढ़ा दिया था कि खेला अभी बाकी है अब जेडीयू के नेता और नीतीश के करीबी मंत्री अशोक चौधरी ने फ्लोर टेस्ट को लेकर इशारा किया है. अशोक चौधरी ने दावा किया की खेला होगा. लेकिन किस ओर होगा ये देखना होगा.
अशोक चौधरी के इस बयान को कांग्रेस के विधायकों के तेलंगाना भेजे जाने और कांग्रेस के तीन विधायकों का पता नहीं होने को लेकर देखा जा रहा है. यानी इशारा के मतलब ये भी निकाला जा सकता है कि हम के चार विधायक बाहर कर कांग्रेस के तीन विधायकों को अंदर किया जा सकता है.
यानी भले ही पारी बदल गई है लेकिन खेल अभी खत्म नहीं हुआ है. 12 फरवरी तक पाले भी बदले जा सकते है और खेल भी पलटा जा सकता है. देखना बस ये है कि किंग मेकर किसी के सर पर ताज रखता है या किंग मेकर के हाथ से ताज ही छीन लिया जाएगा.
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