बिहार में फिर बहार लौटने की खबर है…..अंदर खाने चर्चा है कि नीतीश कुमार पर बीजेपी डोरे डाल रही है…..चर्चा ये भी है कि खुद नीतीश तेजस्वी यादव से बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने अपने पुराने साथी बीजेपी के साथ जा सकते है…धुआँ है तो आग भी होगी…..तो चलिए आपको बताते है कि कहा सुलग रही है चिंगारी
इंडिया गठबंधन में मजबूत पीएम चेहरे रहे है नीतीश
मंगलवार को इंडिया गठबंधन की बैठक से पहले बिहार में पोस्टर लगे “अगर सच में जीत चाहिए तो, एक निश्चय चाहिये एक नीतीश चाहिये” ऐसे पोस्टर मुंबई बैठक से पहले भी लगे थे. पोस्टर मुंबई के विलेपार्ले वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर लगे थे और इनमें लिखा था ‘देश मांगे नीतीश कुमार’ जानकारी के मुताबिक जेडीयू विधायक कपिल पाटिल की तरफ से ये पोस्टर लगाए गए हैं. वैसे नीतीश कुमार के पोस्टर तो इंडिया गठबंधन की बैंगलुरु बैठक से पहले भी लगे थे लेकिन तब उन्हें तंज कसते हुए लगाया गया था. उनमें नीतीश कुमार को “अस्थिर प्रधानमंत्री पद के दावेदार” बताया गया था.
इंडिया गठबंधन से नीतीश का हुआ मोह भंग
यानी इंडिया गठबंधन की शुरुआत से ही जेडीयू नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद का दावेदार मान रही है. हलांकि मंगलवार की दिल्ली की बैठक में इस सपने पर तब पानी फिर गया जब बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने बतौर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम आगे कर दिया औऱ दिल्ली के मुख्यमंत्री ने इसका समर्थन कर दिया. हलांकि खुद खड़गे ने इस बात को खारिज करते हुए कहा कि अभी इस मुद्दे पर चर्चा की ज़रुरत नहीं है इसे 2024 की जीत के बाद देखा जा सकता है.
इधर दिल्ली में ये घटनाक्रम हुआ और इधर बिहार में .जेडीयू ने 29 दिसंबर को अपनी 200 सदस्यों वाली राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुला ली. पहले 29 दिसंबर को सिर्फ राष्ट्रीय कार्यकारिणी जिसमें 99 सदस्य हैं उसकी बैठक बुलाई गई थी.
दोनों बैठकों के एक साथ और एक दिन होने से ये चर्चा चल पड़ी की जेडीयू या कहें नीतीश कुमार कोई बड़ा फैसला लेने वाले है.
बीजेपी के साथ जाने से कुर्सी और छवि दोनों बच सकती है
नीतीश कुमार भले ही लालू यादव के दबाव में तेजस्वी को 2025 में मुख्यमंत्री का ताज देने का एलान कर चुकें हैं. लेकिन सब जानते है कि ऐसा एलान सिर्फ नीतीश ने तब किया था जब उन्हें प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद थी. लेकिन प्रधानमंत्री पद की दावेदारी कमज़ोर पड़ने के साथ ही नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री पद के प्रति प्रेम लौट आया है. ऐसा कहा जा रहा है कि पिछले सदन में अपने बयानों के चलते नीतीश को बीजेपी और दूसरे विपक्षी दलों की काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था. नीतीश को महिला और दलित विरोधी साबित करने में बीजेपी और हम सुप्रीमों जीतन राम मांझी ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी. ऐसे में नीतीश की बीजेपी वापसी न सिर्फ उनके मुख्यमंत्री पद को सुरक्षित करेगी बल्कि उनके ऊपर लगे बीमार, मानसिक संतुलन खराब, याददाश्त चले जाने जैसे आरोपों पर भी विराम लगा देगी.
बीजेपी भी डाल रही है नीतीश पर डोरे
वैसे खबर है कि पलटू राम, धोखेबाज़, नीतीश के लिए दरवाज़ें बंद जैसे बयान देने वाली बीजेपी भी नीतीश कुमार को लुभाने में लगी है. बीजेपी को ये तो समझ आ गया है कि इंडिया गठबंधन 2024 में उसे कड़ी चुनौती दे सकता है. ऐसे में अगर इस गठबंधन के सूत्रधार को ही तोड़ लिया जाए तो गठबंधन को संभलने में टाइम लगेगा और टाइम ही है जो न बीजेपी के पास है न गठबंधन के पास. नीतीश सिर्फ इंडिया गठबंधन को अस्थिर नहीं करेंगे बल्कि 2024 के लिए बिहार की 40 सीटों पर भी बीजेपी की लगभग खत्म नज़र आ रही दावेदारी को भी मज़बूत कर देंगे. ऐसे में इस वक्त नीतीश का साथ बीजेपी के लिए कड़वा ज़रुर है लेकिन उसकी राजनीतिक कमज़ोरी दूर करने में दवा का काम कर सकता है.
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