मुंबई : गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस को लेकर शुरु हुए विवाद के बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने जाति व्यवस्था को लेकर एक बड़ा बयान दिया है . उन्होंने कहा कि जाति व्यवस्था भगवान ने नहीं बनाई है बल्कि पंडितों ने बनाई है जो गलत है.
कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता है- मोहन भागवत, आरएसएस प्रमुख
रविवार को मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने जाति व्यवस्था की बात करते हुए कहा कि हर वर्ग के लोग जो काम करते हैं वो आखिरकार समाज के लिए ही होता है फिर कोई काम छोटा और कोई काम बड़ा कैसे हो सकता है ? भगवान ने सभी को बराबर बनाया है, भगवान ने हमेशा कहा है कि सभी बराबर हैं और उनके लिए कोई अलग अलग जाति नहीं है. जाति व्यवस्था पंडितों द्वारा बनाई गई है, जो गलत है.
When we earn livelihood we've responsibility towards society. When every work is for society then how can any work be big or small or different?God has always said that everyone is equal for him & there's no caste, sect for him, it was made by priests which's wrong: Mohan Bhagwat pic.twitter.com/XqpW0A6j7b
— ANI (@ANI) February 5, 2023
भारत में विश्वगुरु बनने की क्षमता है- मोहन भागवत, आरएसएस प्रमुख
जाति व्यवस्था से उपजे असंतोष के बारे में बात करते हुए आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहा कि देश में कौशल की कमी नहीं है, लेकिन हम लोग दुनिया में प्रमुख बन जाने के बाद भी दुनिया के दूसरे देशों की तरह नहीं बन पायेंगे.आज भी देश में श्रम को सही सम्मान नहीं मिलता है. हमारे देश में कई किसान श्रम करके बहुत धन अर्जित करते हैं लेकिन जब शादी के लिए संघर्ष करते हैं.
मोहन भागवत ने देश में बढ़ती बेरोजगार के बारे में बात करते हुए कहा कि देश में बेरोजगारी का बड़ा कारण श्रम को सही सम्मान नहीं मिलना ही है. लोग चाहे कोई भी काम करें उन्हें सम्मान मिलना चाहिये . हर कोई सरकारी नौकरी के लिए भागता है, सरकारी नौकरी केवल 10 प्रतिशत के आसपास है, जबकि अन्य क्षेत्र से 20 प्रतिशत से अधिक नौकरियां मिलती है. विश्व का कोई भी देश 30 प्रतिशत से अधिक नौकरियां उत्पन्न नहीं कर सकता है. अगर हमारा देश अपनी ये गलतियां सुधार ले तो भारत विश्वगुरु बन सकता है.
जाति व्यवस्था से समाज में उपजा असंतोष
समाज में जाति व्यवस्था के कारण उपजी असपृश्यता के कारण कई संतो और डॉ. बाबा साहब अंबेडकर जैसे लोगों ने इसका विरोध किया .बाबा साहब अंबेकर ने हिंदू धर्म छोड़ दिया अस्पृश्यता से परेशान होकर हिंदु धर्म छोड़ दिया और कभी किसी और धर्म को नहीं अपनाया. उन्होंने महात्मा बुद्ध के बताये रास्ते पर चलना चुना .उन्होंने जो शिक्षा दी है वो भारत की सोच मे बहुत गहरे तक समाई हुई है.