Bharat Band : अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में सब कैटेगरी ( Quota within Quota )बनाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आज कई राजनीतिक पार्टियों और संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया है. आशंका जताई जा रही है कि इस आह्वान का पूरे देश पर फर्क पड़ेगा और सड़कों पर बंद का असर दिखाई भी देगा. दलित समाज और कई राज्यों के आदिवासी संगठनों ने अपने समुदायों और समाज के लोगों के हक की आवाज को मजबूती से उठाने , प्रतिनिधित्व और संविधान सम्मत सुरक्षा की मांग को लेकर आज 21 अगस्त को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है.आदिवासी संगठन के इस बंद को उत्तर प्रदेश की बहुजन समाजपार्टी (BSP) और बिहार से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) समेत कई अन्य पार्टियां भी राजनीतिक समर्थन दे रही हैं.
Bharat Band से पहले NCODATO ने जारी की मांगों की सूचि
आज भारत बंद बुलाने से पहले नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स (NCODATO) ने अपनी मांगो की एक लिस्ट जारी की है, जिसमें अनुसूचित जातियों (SC), अनुसूचित जनजातियों (ST) और अन्य पिछड़े वर्गों (OBC) के लिए न्याय और समानता की मांग की है.
NCODATO ने हाल में हाल ही में अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में सब कैटेगरी बनाने के सुप्रीम कोर्ट की 7 सदसस्यीय पीठ के फैसले के खिलाफ आवाज उठाई है . संगठन के अनुसार ये फैसला इंदिरा साहनी मामले में नौ न्यायाधीशों की पीठ द्वारा लिए गए ऐतिहासिक फैसले को कमजोर करता है, जिसने आजाद भारत में आरक्षण के लिए रूपरेखा तय की थी.
NCODATO ने सरकार से की नये कानून बनाने की मांग
नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स ने सरकार से अपील की है कि इस सरकार इस फैसले को खारिज करे, क्योंकि इस फैसले से अनुसूचित जातियों(SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के संवैधानिक अधिकारों का हनन होता है. आदिवासी संगठनों की मांग है की सरकार एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण के लिए संसद मे एक नया कानून लाये और उसे संविधान की 9वीं अनुसूचि में समावेशिकत करके संरक्षित किया जाए.
राजस्थान के एक जिले में आज स्कूल बंद
भारत बंद के आह्वान को देखते हुए राजस्थान गंगापुर सिटी जिला कलेक्टर ने कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिले के सभी स्कूलों को कल 21 अगस्त को बंद रखने का आदेश दिया है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी महीने की 1 अगस्त को राज्यों को आरक्षण देने के लिए आरक्षित वर्ग के अंदर कोटा निर्धारित करने का अधिकार दिय़ा था. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के मुताबिक राज्य सरकारें अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) श्रेणियों के लिए सब कैटेगरी बना सकती हैं, सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) मे मौजूद क्रीमी लेयर को लेकर भी प्रावधान दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी कोटा के अंदर क्रीमी लेयर निर्धारित करने का अधिकार राज्यों को दिया था. सुप्रीम कोर्ट में 7 जजों के खंडपीठ में से ये फैसला 6-1 के बहुमत से दिया गया था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार ने ये साफ किया कि क्रीमी लेयर का फार्मूला सरकार स्वीकर नहीं करेगी