Friday, November 22, 2024

बेनामी संपत्ति के मामले में अब नहीं होगी जेल-सुप्रीम कोर्ट

बेनामी संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट  का एक बड़ा फैसला आया  है.बेनामी संपत्ति रखने के मामले में अब जेल नहीं जाना पड़ेगा क्योंकि कोर्ट ने  मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध अधिनियम 1988 की धारा 3 (2) को असंवैधानिक घोषित कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब बेनामी संपत्ति मामले में दोषी ठहराए जाने पर सजा का प्रावधान ख़त्म हो गया है. इससे पहले इस नियम के तहत  दोषी पाये जाने पर 3 साल की सजा का प्रावधान था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस अधिनियम के रद्द होने के बाद 2016 के संशोधित अधिनियम की धारा 3 (2) भी असंवैधानिक है. 2016 के संशोधित अधिनियम को बैक डेट से लागू नहीं किया जा सकता है.

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा , जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने ये फैसला देते हुए कहा कि संपत्ति को ज़ब्त करने का अधिकार पिछली तारीख़ से लागू नहीं किया जा सकता.फैसले के मुताबिक बेनामी संपत्ति के पुराने मामलों में  2016 के  अधिनियम के आधार पर कार्रवाई नहीं हो सकती है.

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अपने फैसले को स्पष्ट करते हुए कहा कि 1988 के एक्ट के अनुसार 2016 में लाये गये अधिनियम के सेक्शन 3(2) को भी असंवैधानिक करार दिया गया है, क्योंकि ये आर्टिकल 20(1) का उल्लंघन करता है.

बेनामी संपत्ति वो संपत्ति कहलाती है जिसकी क़ीमत किसी और ने चुकाई हो और वो नाम किसी और के होती है .भ्रष्टाचार के मामलों में बेनामी संपत्ति का बड़ा योगदान रहता है. बेनामी संपत्ति के मामले सजा का प्रावधान होने के कारण ज़्यादातर नेता और अधिकारी  संपत्तियां ख़ुद के नाम पर ना रखकर दूसरों के नाम पर लेते देते हैं.

बेनामी संपत्ति वह प्रॉपर्टी है जिसकी क़ीमत किसी और ने चुकाई हो लेकिन नाम किसी दूसरे व्यक्ति का हो. यह संपत्त‍ि पत्नी, बच्चों या किसी रिश्तेदार के नाम पर भी ख़रीदी गई होती है. जिसके नाम पर ऐसी संपत्त‍ि ख़रीदी गई होती है, उसे ‘बेनामदार’ कहा जाता है.

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