दुमका
संवाददाता – अजीत कुमार
झारखंड के दुमका में एक 14 साल की लड़की की दुष्कर्म को बाद हत्या मामले के विरोध में कई सामाजिक संगठनों ने आज बंद का आह्वान किया है जो काफी प्रभावी दिखाई दे रहा है.इस बीच राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने झारखंड सरकार पर बडा आऱोप लगाते हुए कहा है कि उन्हें पीडित के परिजनों से मिलने नहीं दिया गया. प्रियांक कानूनगो आज सुबह दुमका पहुंचे थे और पीडित परिवार से मिलने गए तो वहां परिजन नहीं मिले.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने ट्वीट कर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि प्रशासन की सहमति से मैं दिल्ली से दुमका आया लेकिन पीड़ित परिवार के परिजन को प्रशासन कहीं औऱ ले कर चला गया.
प्रियांक कानूनगों ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा कि दुमका में दो मामलों की जाँच के लिए आया हूँ, झारखंड सरकार को पहले ही सूचित कर दिया गया था कि अनुसूचित जनजाति की जिस बच्ची की बलात्कार के बाद हत्या कर शव पेड़ से लटका दिया गया था,उसके परिवार से बाल आयोग की टीम मुलाकात करेगी,इस पर स्थानीय कलेक्टर ने सहमति भी दी थी एवं उनके घर जाने का कार्यक्रम तय कर प्रशासन ने सूचना भी दी गई थी .कानूनगो ने आगे लिखा कि उनके गांव आने पर घर पर माता पिता नहीं मिले. पड़ोसियों ने बताया कि हमारे आने के पहले माता पिता को एक जीप में बैठाकर कोई ले गया है. सरकार का ये रवैया बेहद असहयोगात्मक व जाँच में रुकावट डालने वाला है.
इस बीच नाबालिग लकडी के दुष्कर्म के खिलाफ सामाजिक संगठनों का संथाल परगना के छ जिलों में बंद असरदार रहा . 2 सितम्बर को एक नाबालिग आदिवासी लड़की के साथ दुष्कर्म और फिर हत्या को लेकर लोगों में आक्रोश है. आरोपियों को फांसी की सजा दिलाने औऱ मामले की जांच सीबीआई से कराने को लेकर कई संगठनों ने बंद को समर्थन दिया था .
कई छात्र संगठन और आदिवासी संगठनों ने बंद का आह्वान किया था जिसकों कई हिंदू संगठनों ने भी अपना समर्थन दिया था . बंद दुमका सहित संथाल परगना के छह जिलों में किया गया है, लेकिन सबसे ज्यादा असर दुमका में ही रहा.