निर्देशक अनुभव सिन्हा की फिल्म ‘भीड़’ का पहला कंपलीट ट्रेलर शुक्रवार को रिलीज़ हो गया. इसे पिछले हफ्ते आए टीज़र के बाद शुरू हुए विवाद के बीच रिलीज़ कर दिया गया है. यह फिल्म 2020 के पहले लॉकडाउन के फौरन बाद की घटनाओं को दिखाती है. कैसे लॉकडाउन ने उस वक्त समाज के विभिन्न तबकों को प्रभावित किया था. ट्रेलर को काले और सफेद रंग में प्रस्तुत किया गया, इसके साथ ही भीड़, इस लॉकडाउन के बाद के समय को 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन के समानांतर चित्रित करती है, खासकर इसमें एक पत्रकार चरित्र है जो इस चित्रण को और मजबूत करता है अपने कहे शब्दों से.
मुल्क, आर्टिकल 15, थप्पड़ और अनेक जैसी फिल्मों के निर्देशक अनुभव सिन्हा ने भीड़ के जरिए अपनी सामाजिक जागरूकता को लेकर बनाई जाने वाली फिल्मों के सिलसिले को भी जारी रखा है. आपको बता दें फिल्म 24 मार्च को रिलीज़ हो रही है.
दमदार डायलॉग और सीन के साथ ट्रेलर आपको मार्च 2020 में ले जाएगा
“न्याय हमेशा शक्तिशाली के हाथ में होता है. यदि शक्तिहीन ने न्याय दिया होता, तो न्याय अलग होता,” ट्रेलर राजकुमार राव के इसी डायलॉग से शुरु होता है. राज कुमार राव इस फिल्म में पुलिस वाले का किरदार निभा रहे हैं. उनके इस डायलॉग के साथ ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन भी सुनाई देता है जो उन्होंने पहले लॉकडाउन की घोषणा के वक्त दिया था जिसमें उन्होंने बताया था कि कुछ ही घंटों में पूर्ण लॉकडाउन लागू किया जाएगा. इस घोषणा के चलते लाखों प्रवासी कामगार बड़े शहरों में फंसे रह गए. जबकि मध्यमवर्ग या कहें जिनके घर थे वो लोग अपने घरों में दुबक गए, जिनके पास घर नहीं थे, वे राजमार्गों और ट्रेन के ट्रैक के सहारे अपने गृह राज्यों के लिए निकल पड़े. जिन्हें प्रदेशों और जिलों की सीमाओं पर रोका जाता और कानून के रखवाले इन्हें दंडित करते प्रताड़ित करते.
ट्रेलर में नज़र आ रहे पुलिस के प्रवासी मज़दूरों को पीटने, और उन पर कीटनाशक के छिड़काव के दृश्य – असल में वास्तविक घटनाओं से ही लिए गए हैं. फिल्म उस अपमानजनक व्यवहार की याद दिलाती है जो उस वक्त आबादी के कमज़ोर वर्ग के साथ किया गया जब वो अपनी सबसे कमजोर स्थिति में थे और सरकार की ओर मदद की उम्मीद से देख रहे थे. वहीं दूसरी ओर, ट्रेलर में दीया मिर्जा का किरदार भी नज़र आता है, जो घर से दूर फंसी हुई है लेकिन एक संभ्रांत परिवार से ताल्लुक रखने वाली नज़र आ रही है. वहीं अगर बात राजकुमार राव की करें तो वो एक ईमानदार पुलिस वाले की भूमिका में हैं जो ऐसे मुश्किल समय में जातिगत पूर्वाग्रह से ग्रस्त एक व्यक्ति को सबक सिखाने की कोशिश करते नज़र आ रहे हैं. वहीं पंकज कपूर का किरदार एक ऐसे शख्स का है, जो एक समुदाय से मदद लेने से सिर्फ इसलिए मना कर देता है क्योंकि बीमारी के फैलने के साथ जो तब्लीगी जमात को लेकर विवाद खड़ा हुआ था वह उससे प्रभावित है.
ट्रेलर में नहीं है भूषण कुमार का नाम
आपको याद दिला दें कि फिल्म भीड़ को लेकर जो विवाद शुरू हुआ था उसके बाद खबर फैली थी कि निर्माता भूषण कुमार ने खुद को इस फिल्म से अलग कर लिया है. ट्रेलर को देखने के बाद ये बात सच लगती है. हलांकि टी-सीरीज़ ने ट्रेलर को अपने सोशल मीडिया अकाउंट से पोस्ट किया है लेकिन ट्रेलर में भूषण कुमार या उनके स्टूडियो का कोई उल्लेख नहीं है.