जाति जनगणना के मुद्दे पर अब तक कन्नी काट रही बीजेपी ने आखिरकार इसपर अपनी चुप्पी तोड़ी. बीजेपी की ओर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बीजेपी कभी भी जाति जन गणना के खिलाफ नहीं थी. ऐसा माना जा रहा है कि पांच राज्यों में चुनाव के चलते बीजेपी के लिए अब ये जरूरी हो गया था कि वह जाति जनगणना पर अपना रुख साफ करें
जातिगत जनगणना पर उचित सोच-विचार के बाद ही निर्णय होगा-अमित शाह
रायपुर में जातिगत जनगणना पर पहली बार अपनी सरकार और बीजेपी का रुख साफ करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “हम वोट की राजनीति नहीं करते. हम चर्चा करने के बाद उचित निर्णय लेंगे… भाजपा ने कभी इसका विरोध नहीं किया लेकिन उचित सोच-विचार के बाद ही निर्णय होगा.”
#WATCH रायपुर: जातिगत जनगणना पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “हम वोट की राजनीति नहीं करते। हम चर्चा करने के बाद उचित निर्णय लेंगे… भाजपा ने कभी इसका विरोध नहीं किया लेकिन उचित सोच-विचार के बाद ही निर्णय होगा।” pic.twitter.com/rZlliKfUGH
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 3, 2023
विपक्ष खासकर राहुल गांधी जाति जनगणना को लेकर काफी हमलावर हैं
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लगातार कह रहे है कि “हिंदुस्तान के भविष्य के लिए सबसे जरूरी चीज न्याय है. अगर जनता को न्याय नहीं मिलेगा, तो देश आगे नहीं बढ़ेगा. जाति जनगणना के बिना इस देश के युवाओं को न्याय नहीं मिल सकता है.”
राहुल गांधी ने बिहार की तर्ज पर कांग्रेस शासित राज्यों में जाति गणना कराने की घोषणा भी की है. राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनावी वादें में भी जाति जनगणना को काफी महत्व दिया है.
मंडल कमंडल की राजनीति से बचना चाहती है बीजेपी
1990 के दशक की शुरुआत में वीपी सिंह सरकार द्वारा मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू कर केंद्र सरकार की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी को 27% आरक्षण दिया जाने के बाद देश की राजनीति में एक साफ बदलाव देखने को मिला. एक तरफ जहां बीजेपी आरक्षण के खिलाफ आंदोलन कर रही थी वहीं दूसरी और वो आरक्षण को पीछे धकेल मंदिर के मुद्दे को आगे बढ़ाने में भी लगी थी. लेकिन मंडल के तौफहे ने भारत की चुनावी राजनीति की प्रकृति ही बदल दी. खासकर उत्तर भारत के राज्यों में जहां मंडल के बाद बड़ी संख्या में बहुत मजबूत क्षेत्रीय दलों का उदय हुआ, खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में.
इस आरक्षण की राजनीति ने जहां हिंदू वोट बैंक को बिखेर दिया वहीं बीजेपी के सत्ता पाने के सपने को भी काफी नुकसान पहुंचाया. लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी और आडवाणी की जोड़ी मंदिर आंदोलन के जरिए मंडल की राजनीति का तोड़ निकाली केंद्र में सत्ता भी हासिल की. नरेंद्र मोदी का समय आते आते देश की राजनीति में मंडल का असर कम हो गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रचंड जीत में काफी ओबीसी वोट भी शामिल हुए. यहां तक की खुद प्रधानमंत्री ने अपने आप को ओबीसी समाज का बताया.
इसलिए 5 राज्यों के चुनाव से पहले बीजेपी के लिए ये साफ करना ज़रुरी था कि वो जाति जनगणना के मामले में किस तरफ खड़ी है. क्योंकि कांग्रेस का जाति जनगणना से मतलब जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी है. यानी एक बार फिर बीजेपी के सामने मंडल-कमंडल वाली स्थिति खड़ी है.
ये भी पढ़ें-Elvish Yadav: मेनका गांधी को एल्विश यादव की चुनौती कहा-“जैसे आरोप लगाए है वैसे ही माफी मांगने रहे तैयार”