झारखंड में सियासी संकट खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में फंसे सीएम हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द होगी या नहीं इसपर सस्पेंस बरकरार है. एक हफ्ते से ज्यादा गुज़र जाने के बाद भी राज्यपाल चुनाव आयोग की सिफारिश को लेकर कोई फैसला नहीं दे रहें है. इसी मसले को लेकर गुरुवार को यूपीए का एक प्रतिनिधिमंडल झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात करने पहुंचे हैं. इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा, जेएमएम सांसद महुआ मांझी और सांसद विजय हांसदा समेत कई नेता शामिल हैं. ये प्रतिनिधी मंडल राज्यपाल से मुख्यमंत्री की विधानसभा सदस्यता को लेकर लेकर चल रही अटकलों पर उनका रुख साफ करने की मांग करने राज भवन पहुंचा है.
आपको बता दें राज्यपाल के फैसले में हो रही देरी के चलते सीएम हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी जेएमएम ने बीजेपी पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया है.
अब तक क्या-क्या हुआ
25 अगस्त को चुनाव आयोग के राज्यपाल को अपनी सिफारिश भेजने की ख़बर के बाद से ही राज्य में सियासी हलचल तेज हो गई. 26 और फिर 27 अगस्त सीएम हेमंत सोरेन ने लगातार दो दिन यूपीए विधायकों की बैठक बुलाई. बैठक के ज़रिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने और सहियोगी दलों के विधायकों को एकजुट रखने और सरकार बचाने की कोशिश में लगे रहे. हॉर्सट्रेडिंग से बचने के लिए सीएम ने यूपीए विधायकों को छत्तीसगढ़ भेज दिया था.
राजभवन पर टिकी है निगाहें
25 अगस्त राज्यपाल रमेश बैस के दिल्ली से रांची पहुंचने के बाद से सारी नजरे राजभवन टिक गई थी. कहा जा रहा था कि राज्यपाल किसी भी वक्त फैसला सुना सकते है. लेकिन फैसला के इंतज़ार को अब एक हफ्ता गुज़र गया है. सवाल ये है कि आखिर फैसला सुनाने में देर क्यों हो रही है? तो सूत्र ये बता रहे है कि चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की है लेकिन उन्हें चुनाव लड़ने से डिबार करने या नहीं करने का फैसला राज्यपाल पर छोड़ दिया है. खबर ये है कि राजभवन अब ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में अलग-अलग राज्यों के हाईकोर्ट के फैसले और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को खंगाल रहा है ताकि ये निश्चित किया जा सकें की अगर वो मुख्यमंत्री को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार देता है तो हेमंत सोरेन आसानी से अदालत में उनके फैसले के खिलाफ राहत हासिल नहीं कर पाए.
क्या है पूरा मामला जिसमें जा सकती है हेमंत सोरेन की सदस्यता
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर रांची के अनगड़ा में पत्थर खनन लीज की एक खदान अपने नाम करने का आरोप है. इस मामले में बीजेपी नेताओं ने सोरेन पर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 का उल्लंघन का आरोप लगाते हुए उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग राज्यपाल से की थी. बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास समेत अन्य बीजेपी नेताओं की ओर से यह तर्क दिया जा रहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भारत के संविधान के अनुच्देद 191 (ई) के साथ-साथ जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 (ए) के तहत पत्थर खनन का पट्टा प्राप्त करने के लिए अयोग्य किया जाना चाहिए. बीजेपी नेताओं की इस शिकायत के बाद राज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत चुनाव आयोग से परामर्श मांगा था.
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