बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर लगातार सुर्ख़ियों में रहने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते. कभी वो कुछ विवादित बयानबाजी कर डालते हैं. कभी मनुस्मृति के सहारा सुर्ख़ियों में छाते हैं. तो कभी गलत पोस्ट डालने को लेकर लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जाता. इसके बाद अब एक और नया विवाद सामने आया है. ये मामला है शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की दूसरी कमाई का. जी हाँ बिहार सरकार में कहने को तो प्रोफेसर हैं. लेकिन वो पिछले 15 सालों बिना कॉलेज गए वेतन उठा रहे हैं. एक तरफ तो देश में आज भी कई विभागों में कर्मियों को तनख्वा नहीं मिल रही है और यहाँ शिक्षा मंत्री दोनों हाथों में लड्डू लेकर घूम रहे हैं.
क्या है मामला
बिहार के शिक्षा मंत्री आज भी यादव कॉलेज में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं. मगर हैरानी इस बात कि है कि वो पिछले 15 साल से कॉलेज के उपस्थिति पंजी में एक बार भी हाजरी नहीं है. इसके बावजूद उसके उनका वेतन भुगतान किया जा रहा है. डॉक्टर चंद्रशेखर औरंगाबाद के रामलखन सिंह यादव कॉलेज के प्राणी विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक भी हैं. इस कॉलेज में वें 8 अक्टूबर 1985 से कार्यरत हैं और उन्हें मार्च 2026 में सेवानिवृत होना है. इस लिहाजा अभी भी वो कॉलेज में प्रोफेसर के पोस्ट पर बने हुए हैं.
वहीं,इस मामले में राम लखन सिंह यादव कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विजय रजक से जब बात की गई. तो उन्होंने बताया कि वर्तमान में बिहार के शिक्षा मंत्री डॉक्टर चंद्रशेखर प्रसाद इसी कॉलेज के जूलॉजी डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर हैं. पिछले 15 सालों से विधायक बनने के बाद कॉलेज में आना-जाना कम हो गया है. 15 साल पहले कॉलेज में डॉक्टर चंद्रशेखर क्लास भी लेते थे और छात्र-छात्राओं को पढ़ाते भी थे. लेकिन फिलहाल पिछले 15 सालों से न तो उनका उपस्थिति पंजी में नाम दर्ज हो रहा है और ना ही उनकी हाजिरी बन रही है.
क्या रहा इतिहास
जानकारी के लिए बता दें चंद्रशेखर 2010 से मघेपुरा के सदर विधायक हैं. फिलहाल वो राज्य सरकार के शिक्षा मंत्री है. इससे पहले वो आपदा विभाग के भी मंत्री रहे हैं। इधर यादव कॉलेज में प्रोफ़ेसर की संख्या देखी जाए तो सब्जेक्ट के हिसाब से एक भी प्रोफेसर उपलब्ध नहीं हैं. कई ऐसे विषय हैं जिसमें प्रोफेसरों और शिक्षकों की संख्या नदारद है.
आपको बताते चलें कि, चंद्रशेखर को सरकार के निर्देशानुसार वेतन भुगतान किया जा रहा है. प्राचार्य ने बताया कि पिछले 15 साल से उनकी हाजिरी नहीं बन रही है. फिर भी सरकार के फंड से उन्हें वेतन का भुगतान किया जा रहा है. वेतन भुगतान करना विभागीय आदेश है. वैसे फैसिलिटी का लाभ विधायकी क्षेत्र से ले रहे हैं और आर्थिक लाभ प्रोफेसर के पद से उठा रहे हैं. जानकारों की मानें, तो ये बिल्कुल गलत है. प्रो. चंद्रशेखर शिक्षा मंत्री के पद पर रहते हुए वेतन नहीं ले सकते. देश का क़ानून तो यही कहता है लेकिन बिहार में कानून नहीं जंगल राज है तो वहां सब माफ़ है ये हम नहीं इस मामले को देखने के बाद बिहार और देश का हर युवा कह रहा है. एक तरफ तो बिहार में BTET और CTET अभियार्थी अभी अपने नियुक्ति के लिए बिहार की सड़कों पर वक्त वक्त पर धरना देते नज़र आते हैं और इधर बिहार के शिक्षा मंत्री ही किस तरह कानून और प्रशासन की धज्जियां उड़ आ रहे हैं वो आपने देख ही लिया.