गिरिडीह : गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र से AJSU पार्टी के उम्मीदवार और सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी की राह इस बार आसान नहीं है. उन्हें मुख्य चुनौती जेएमएम से नहीं बल्कि सहयोगी एनडीए से मिल रही है. बीजेपी के स्थानीय नेताओं के भारी विरोध के आगे सीपी चौधरी सरेंडर के मुद्रा में आ गए है लेकिन फिर भी बीजेपी नेता उनके समर्थन में खुलकर नहीं आ रहे है. बीजेपी के स्थानीय नेताओं द्वारा उनका विरोध खुल्लम खुल्ला हो रहा है. बीजेपी कार्यकर्ताओं को मनाने में आजसू उम्मीदवार सीपी चौधरी के पसीने छूट रहे है.
दो दिन पहले शिखर मधुबन में बीजेपी कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना आजसू उम्मीदवार को करना पड़ा उससे साफ जाहिर हो रहा है कि चंद्रप्रकाश के लिए सबसे बड़ी चुनौती उनके सहयोगी पार्टी के कार्यकर्ता बन गए है. उस कार्यक्रम में चंद्रप्रकाश चौधरी के सामने ही बीजेपी कार्यकर्ताओं ने 5 सालों तक उपेक्षा का आरोप लगाया और कहा कि पिछले 5 सालों में उन्होने एक मीटिंग भी बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ नहीं की.
बीजेपी कार्यकर्ता AJSU उम्मीदवार के खिलाफ नारेबाजी करते ही रहे
बीजेपी के स्थानीय नेताओं के साथ चंद्रप्रकाश चौधरी बीजेपी कार्यकर्ताओं का मान मनौव्वल करते रहे लेकिन बीजेपी कार्यकर्ता आजसू उम्मीदवार के खिलाफ नारेबाजी करते ही रहे, काफी देर तक कार्यक्रम में हंगामा होता रहा है और चंद्रप्रकाश की फजीहत होने लगी. बीजेपी कार्यकर्ता कहते रहे कि 5 सालों तक उनके दर्शन क्षेत्र के बीजेपी कार्यकर्ताओं को नहीं हुआ तो जनता को कैसे हुआ होगा, सिर्फ चुनाव के वक्त उन्हे सहयोगी पार्टी के कार्यकर्ताओं की याद आती है. बीजेपी कार्यकर्ता सिर्फ चुनाव जीताने के लिए नहीं है, उनको सम्मान भी चाहिए जो सांसद ने पिछले 5 सालों में नहीं दिया.
सहयोगी पार्टी के कार्यकर्ताओं की भारी नाराजगी देखने के बाद आजसू उम्मीदवार चंद्रप्रकाश के तेवर नर्म ही नहीं पड़े, उन्होने बीजेपी कार्यकर्ताओं के सामने सरेंडर भी कर कहना पड़ा कि बीजेपी कार्यकर्ता उनका साथ दे दे. उनकी शिकायतें दूर कर दी जायेगी. उन्होने अपनी गलती मानते हुए कहा कि मै अपनी कमी को स्वीकार करता हूं .
चंद्र प्रकाश चौधरी को चुनाव में मिल रही है चुनौती
चंद्र प्रकाश चौधरी को इस चुनाव में चारों ओर से चुनौती मिल रही है. कहा तो ये भी जा रहा था कि वो अपनी लोकसभा सीट बदलना चाहते थे, वो हजारीबाग शिफ्ट होना चाहते थे, लेकिन एनडीए में सीट शेयरिंग का समीकरण के तहत आजसू को फिर से गिरिडीह सीट ही दिया गया. यही नहीं आजसू के अंदर भी उम्मीदवार बदलने की अटकलें लगाई जा रही थी, कहा तो ये भी जा रहा था कि चंद्रप्रकाश की जगह लंबोदर महतो को इस बार आजसू उम्मीदवार बना सकती है, लेकिन आखिरकार उनपर सुदेश महतो ने एक बार फिर भरोसा किया. लेकिन सुदेश महतो के भरोसे पर तो चंद्रप्रकाश उतरे लेकिन सहयोगी बीजेपी कार्यकर्ताओं का भरोसा वो जीत नहीं पाएं.
जेएमएम ने इस बार टुंडी से विधायक मथुरा महतो को उम्मीदवार बनाया है जो उसी जाति से आते है जिस जाति से चंद्रप्रकाश चौधरी आते है. चंद्रप्रकाश और मथुरा के बीच आमने सामने की टक्कर को त्रिकोण बनाने के लिए छात्र नेता जयराम महतो भी इस बार चुनाव मैदान में है.
खातियान और रोजगार का मामला उठाने वाले जयराम युवाओं के बीच अच्छी खासी लोकप्रियता रखते है. उनको सुनने के लिए काफी संख्या में जनता आती है, भीड़ को अपनी ओर खींचने की जयराम की कला वोटों में कितनी तब्दील हो पाएगी ये तो आने वाले समय में ही पता चलेगा, लेकिन उनके चुनाव मैदान में कुदने से गिरिडीह का चुनाव एक तरफ रोचक हो गया है वही चंद्रप्रकाश चौधरी की राह को मुश्किल बना रही है. जयराम भी उसी जाति से आते है जिस जाति से चंद्रप्रकाश चौधरी और मथुरा महतो आते है. गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र में जीत तय करेगी कि इस इलाके में उस जाति का कौन नेता होगा.