भागलपुर: सुलतानगंज के अजगैविनाथ धाम में महाशिवरात्रि पर बिहार और पड़ोसी राज्य झारखंड सहित दूसरे राज्यों से आये लाखों शिवभक्तों ने उत्तर वाहिनी गंगा में स्नान कर बाबा भोलेनाथ और मां पार्वती का जलाभिषेक किया.
इस साल शिवरात्री के मौके पर खास योग होने के कारण आज के दिन को लोग मनोकामनसिद्धी के लिए भी खास मान रहे हैं. इसलिए लाखों की संख्या में आये श्रद्धालु अपनी मन्नतों के साथ अजगैवीनाथ पहुंचे. हर हर महादेव, मईया पार्वती के नारों से पूरा अजगैविनाथ नगरी गुंजयमान हो गया.
शिवरात्री के मौके पर सुलतानगंज के स्वंभू भोलेनाथ अजगैवीनाथ मंदिर का मंदिर हर हर महादेव के नारे से हुआ गुंजायमान … गंगा नदी के तट पर बसे इस मंदिर में दूर दूर से आते हैं भगवान शिव के भक्त #शिवरात्रि pic.twitter.com/FZ6hiaYgmF
— THEBHARATNOW (@thebharatnow) February 18, 2023
शिवबारात में शामिल होने जमा हुई भक्तों की भीड़
शिवरात्री के मौके पर हर साल यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं. पिछले दो साल से कोविड के कारण यहां भक्तों का कम आना जाना था लेकिन इस साल फिर से बड़ी संख्या में भक्त यहां पूजा पाठ के लिए पहुंचे.भक्तों की संख्या को देखते हुए नगर परिषद ने गंगा घाट में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बैनर पोस्टर लगाकर एंव बांस बेरिकेटिंग लगाया गया और शहर में साफ सफाई अभियान भी चलाया गया है. पुलिस व्यवस्था कड़ी रखी गई ताकि किसी तरह के अप्रिय से बचा जा सके.
आपको बता दें कि भागलपुर के सुल्ताननगंज में बाबा अजगैबीनाथ का मंदिर है जो गंगा नदी के बीच में है. इस मंदिर की खास मान्यता है.
अजगैवीनाथ मंदिर क्यों है खास
ये एक ऐतिहासिक मंदिर है. भागलपुर से 26 किलोमीटर पश्चिम में उत्तरायणी गंगा के तट पर ग्रेनाइट के पत्थरों से बना ये मंदिर अद्भुत है. ये मंदिर दूर से ही नजर आता है और जब गंगानदी में पानी बढ़ जाता है तो ये मंदिर नदी में पहाड़ की भांति नजर आता है . मंदिर के आस पास पड़ाडियों में उत्कृष्ट आकृतियां बनी हुई है. इस मंदिर को भगवान शिव का स्वयंभू मंदिर माना जाता है.
अजगैवीनाथ मंदिर से जुड़ी मान्यता
सुल्तानगंज में उत्तरवाहिनी गंगा को लेकर एक किवदंती प्रसिद्ध है. कहा जाता है कि जब राजा भगीरथ की कोशिशो के बाद मां गंगा का स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरण हुआ, तो उनके तेज प्रवाह रोकने के लिए स्वयं भगवान शिव अपनी जटाएं खोलकर उनके रास्ते में खड़े हो गये. भगवान के खुद प्रवाह मार्ग में उपस्थित हो जाने के कारण गंगा का प्रवाह रुक गया और गंगा धरती से गायब हो गई. देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव ने उन्हें अपनी जांघों के नीचे से बहने का मार्ग दे दिया.कहा जाता है कि इसी कारण से पूरे देश में केवल यही वो स्थान है जहां गंगा उत्तर दिशा में बहती है.कहते है कि यहां भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे इसलिए भक्तों ने पर स्वयंभू शिव के मंदिर की स्थापना की और उसे अजगैबीनाथ मंदिर का नाम दिया .
सावन के महीने में जो लोग 12 ज्योतिर्लिंगों में एक देवघर में बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए जाते है, वे पहले यहां आकर अपने कांवड़ में जल भरते हैं, फिर आगे की यात्रा करते हैं. गंगा नदी के तट पर पानी के बीच छोटी सी पहाड़ी पर बसे होने के कारण ये स्थान पर्यटकों के लिए भी दर्शनीय है.
अजगैवीनाथ में मिली थी 3 टन की भगवान बुद्ध की तांबे की प्रतीमा
इस मंदिर से जुड़ी कुछ कहानियां प्रचलित है , जिसके मुताबिक सुल्तानगंज हिंदु धर्माबलंबियों के साथ साथ बौद्ध धर्माबलंबियों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है.यहां से जो बौद्ध पुरातत्व अवशेष मिला वो आज भी विश्व को कुछ खास बौद्द अवशेषों मे से एक है. 1861 ई. में यहां रेलवे स्टेशन बनने का काम चल रहा था , तभी खुदाई के दौरान भगवान बुद्ध की लगभग 500 किलो की तांबे की विशाल मूर्ति मिली.कहा जाता है कि पूरी दुनिया में तांबे के धातु से बनी भगवान बुद्ध की ये एकलौती विशाल प्रतीमा है. फिलहाल ये प्रतीमा इंग्लैंड में बर्मिघम के म्यूजियम में रखा है.
The 7th century Sultanganj Buddha during excavations in Bihar in 1861👇
Weighing over 500kg, the copper-alloy statue is the largest known complete metal Indian sculpture & one of the largest in the Pre-Renaissance world. It is now in the Birmingham Museum & Art Gallery, UK. https://t.co/qql2URW68F pic.twitter.com/yVrMablVsm
— Bihar Foundation (@biharfoundation) September 10, 2022