देश के कोने-कोने में भारत के इतिहास को खोजा जा रहा है. हिन्दुस्तान की संस्कृति से जुड़े इतिहास की किताब से उन खोये पन्नों को फिर से तराशा जा रहा है,जो किसी वक्त भारत का गौरव हुआ करते थे. बात चाहे राम जन्भूमि में राम मंदिर निर्माण की हो या फिर ज्ञानवापी में शिवलिंग की खोज की…
गुजरात के पंचमहाल जिले में मौजूद प्रसिद्ध महाकाली मंदिर के शिखर पर 500 साल के बाद एक बार फिर देवी के नाम की पताका फहराई गई.
मंदिर के एक ट्रस्टी के मुताबिक मंदिर के शिखर को करीब 500 साल पहले सुल्तान महमूद बेगड़ा ने नष्ट कर दिया था, लेकिन सरकार ने पावागढ़ की पहाड़ी पर 11वीं सदी में बने इस मंदिर के शिखर को पुनर्विकास योजना के तहत फिर से स्थापित किया है .सुल्तान महमूद बेगड़ा ने इस मंदिर के शिखर को तोड़ कर यहां गुंबद बनवा दिया था.
ऐसा माना जाता है कि ऋषि विश्वामित्र ने पावागढ़ में देवी कालिका की इस मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की थी,लेकिन मंदिर के मूल शिखर को सुलतान महमूद बेगड़ा ने 15वीं सदी के दौरान ध्वस्त कर दिया था और कुछ समय बाद ही मंदिर के ऊपर पीर सदनशाह की दरगाह बना दी गई थी.
पावागढ़ का ये मंदिर हमेशा से हिंदु श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र रहा है. इसलिए सरकार ने मंदिर के ऊपर बनी दरगाह को उसकी देखरेख करने वालों की सहमति से स्थानांतरित कर इस जगह को फिर से इसके पुराने रुप में स्थापित कर दिया है. प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी मां हीरा बेन के 100वें जन्मदिन के मौके पर खुद यहाँ आकर पताका फहराई. पीएम मोदी ने मां कालिका की लाल पारंपरिक ध्वजा को मंदिर के शिखर पर फहराया. इस मंदिर को 125 करोड़ की लागत के पुर्रनिर्माण कर वाया गया है .
ये मंदिर चम्पानेर-पावागढ़ पुरातात्विक पार्क का हिस्सा है, जो यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल है और हर साल लाखों भक्त इस प्राचीन मंदिर के दर्शन करने आते हैं.