सोमवार के अलावा एक तिथि हर महीने ऐसी भी आती है, जो भगवान शिव को समर्पित रहती है. वह है हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि, जिसे प्रदोष व्रत भी कहा जाता है माना जाता है कि प्रदोष व्रत के दिन व्रत रखकर अगर जातक प्रदोष काल में भगवान शिव की विधि-विधान के साथ पूजा-आराधना कर ले, तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. रोग, दुख, कष्ट, दरिद्रता, काल, सब खत्म हो जाते हैं.
कुछ ही दिनों में आषाढ़ महीने की शुरुआत होने वाली है. आषाढ़ महीने का पहला प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा और इस दिन कैसे भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते हैं, जानते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य से.
क्या कहते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य
15 जून से आषाढ़ महीने की शुरुआत हो जाएगी. आषाढ़ महीने का पहला प्रदोष व्रत 23 जून को रखा जाएगा. सोमवार के दिन के अलावा जातक को प्रदोष व्रत के दिन व्रत रखकर प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा जरूर करनी चाहिए.
कब से हो रही है त्रयोदशी तिथि की शुरुआत
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि ऋषिकेश पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 22 जून रात 2 बजकर 34 मिनट से हो रही है और समापन 23 जून रात 11 बजकर 06 मिनट पर होगा. चूंकि प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा होती है, इसलिए 23 जून को ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा.
कैसे करें इस दिन भगवान शिव की पूजा
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि प्रदोष व्रत के दिन स्नान कर व्रत का संकल्प लें और प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा पंचोपचार विधि से करें. अगर जातक इस दिन राम नाम लिखा बेलपत्र अर्पण करें और उनका प्रिय पुष्प धतूरा का पुष्प अर्पण कर दें, तो भगवान शिव बेहद प्रसन्न हो जाएंगे और जातक की मनोकामनाएं जरूर पूरी होंगी. साथ ही रोग, दुख, कष्ट, काल और दरिद्रता सब खत्म हो जाएंगे.