Justice Yashwant Verma cash scandal : दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस यशवंत वर्मा का मामला एक बार फिर से सुर्खियों में हैं. कैश कांड मामले की जांच के लिए बनी कमिटी ने अपनी रिपोर्ट मे खुलासा किया है कि जस्टिस वर्मा अपने घर के एक हिस्से में मिले करोड़ों रुपये कैश के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दे पाये. जिसके बाद जांच कमिटी ने उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की है. जस्टिस वर्मा के बारे में जांच कमिटी ने कहा है कि उन्होंने पूछताछ के दौरान कमेटी के सामने इस्तीफा देने से भी इंकार कर दिया था.
Justice Yashwant Verma cash scandal : जस्टिस वर्मा के घर मिले कैश का क्या है मामला
इसी साल दीपावली की रात दिल्ली में जस्टिस यसवंत वर्मा के घर पर आग लगी, जिसे बुझाने के दौरान फायर ब्रिगेड की उनके घर के एक हिस्से में नोटों की थाक मिली. यहां इतने नोट रखे थे जिसे गिनने के लिए कई मशीनों की जरुरत पड़ी.
जांच कमिटी के मुताबिक जाचं के दौरान पता चला कि स्टोर रुम में 1.5 फीट उंचाई तक नोटो की थाक लगी हुई थी. इनमें से कई गड्डियां जले हुए और नोट बिखरे हुए थे. यहां इतना कैश बिखरा हुआ था कि इसे नजरअंजाद करना मुश्किल था. जांच दल ने पाया कि इस हलांकि ये स्टोर रुम घर के पिछले हिस्से मे था लेकिन इस पर नियंत्रण केवल वर्मा परिवार का ही था किसी और के आने जाने की मनाही थी.
घटना की रात कई बार जस्टिस वर्मा को फोन किया गया था ..
मामले की जांच मे लगी टीम के मुताबिक जांच मे ये बात सामने आई है कि जब जस्टिस वर्मा के घर पर आग लगी थी तब उनके पीएस राजेंद्र सिंह कार्की ने उस रात उन्होंने कई बार फोन किया और घऱ में लगी आग की घटना की जानकारी दी. कफी हो हंगामा के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया. हाल ही में जस्टिस वर्मा को गुपचुप तरीके से इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्वाआ करा दिया गया था जिसपर हाईकोर्ट के वकीलों ने भी खूब हंगामा किया था और उन्हें हाई कोर्ट में नियुक्त करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मे याचिका लगाई थी. इलाहाबाद हाई कोर्ट में जस्टिस वर्मा को ज्वाइनिंग तो करा दिया गया लेकिन उन्हें कोई काम नहीं दिया गया .
दिल्ली पुलिस ने दर्ज नहीं की थी FIR ?
मामला सामने आने के बाद दिल्ली पुलिस में FIR दर्ज करने से मना करने का कारण बताते हुए कहा कि मौजूदा नियमों के मुताबिक किसी सिटिंग जज के खिलाफ FIR दर्ज करना संभव नहीं है.
अब जांच समिति ने विस्तृत जांच के बाद ये निष्कर्ष निकाला है कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ जो आरोप लगाये गये हैं उनमें पर्याप्त गंभीरता है, जो उनपर महाभियोग चलाने के लिए पर्याप्त हैं.