Wednesday, July 23, 2025

इन्वेस्टमेंट फ्रॉड अलर्ट! विदेशी कंपनियों के नाम पर ठगी करने वाला गिरोह बेनकाब, 5 गिरफ्तार

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नई दिल्ली: उत्तर-पूर्वी दिल्ली साइबर क्राइम थाना ने एक अंतरराष्ट्रीय निवेश धोखाधड़ी गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए 32.3 लाख की ठगी के मामले में पांच शातिर ठगों को गिरफ्तार किया है. यह गिरोह फर्जी स्टॉक ट्रेडिंग और आईपीओ स्कीम के नाम पर आम लोगों से करोड़ों की ठगी कर रहा था. जांच में चीनी और कंबोडियन नेटवर्क की संलिप्तता भी समाने आई है.

उत्तर पूर्वी दिल्ली के डीसीपी हरेश्वर वी स्वामी ने बताया कि पीड़ित आशीष भारद्वाज को व्हाट्सएप पर "विशाल शर्मा" और "उषा रानी" नाम के दो कथित वित्तीय सलाहकारों ने संपर्क किया. इन लोगों ने खुद को शेयर मार्केट के विशेषज्ञ बताकर एक नकली स्टॉक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म से जोड़ा. शुरुआत में छोटे निवेश पर दिखावटी लाभ दिखाया गया, जिससे पीड़ित को विश्वास पैदा हुआ. इसके बाद मोटे मुनाफे का झांसा देकर बड़ी रकम निवेश करवाई गई.

जब पीड़ित ने पैसा निकालने की कोशिश की, तो फर्जी "पेनल्टी" लगाकर खाते फ्रीज कर दिए गए. इसी प्रकार से अन्य लोगों को भी टारगेट किया जा रहा था. पीड़ित की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की गई. साइबर थाना उत्तर-पूर्वी जिले की टीम ने इंस्पेक्टर राहुल कुमार के नेतृत्व में टीम ने टेक्निकल सर्विलेंस के आधार पर दिल्ली, अलीगढ़, उधम सिंह नगर, बस्ती और कानपुर में दबिश देकर पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया. इनके पास से दो मोबाइल फोन, बैंक दस्तावेज और डिजिटल सबूत बरामद हुए. जांच में करीब ₹5 करोड़ की मनी ट्रेल का भी पता चला.

गिरफ्तार आरोपी की पहचान सूरज चौधरी (26): बैंक खाता मुहैया कराकर कमीशन लेता था,विक्की बोरा (27): कंबोडियन नेटवर्क और चीनी संचालकों से जुड़ा मास्टरमाइंड,गिरीश पांडे (31): फर्जी कंपनी के जरिए धनशोधन में लिप्त,अविनाश कुमार (34): रिमोट एक्सेस और सिम कार्ड के जरिए ट्रांजैक्शन में मददगार,मक्खन उर्फ अंकुर (32): शेल खातों के ज़रिए भारत-कंबोडिया ट्रांजैक्शन का बिचौलियाय के तौर हुई है.

जांच में सामने आया कि यह गैंग पीड़ितों को टेलीग्राम व व्हाट्सएप ग्रुप्स में जोड़ता था, जहां नकली निवेश सलाहकार मार्केट के नाम पर गुमराह करते थे. फंड्स को शेल कंपनियों के खातों में इकट्ठा कर को-ऑपरेटिव बैंकों, ऑफलाइन RTGS और USDT क्रिप्टोकरेंसी के जरिए कंबोडिया भेजा जाता था. पुलिस के मुताबिक मामले की जांच जारी है और विदेशी संचालकों की भूमिका की भी गहराई से पड़ताल की जा रही है. तकनीकी साक्ष्य के आधार पर कुछ और गिरफ्तारी जल्द संभव है.

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