Wednesday, October 15, 2025

मध्य प्रदेश में एमबी पावर की 1600 मेगावाट विस्तार योजना को स्थानीय समर्थन मिला

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अनुपपुर: एमबी पावर (मध्यप्रदेश) लिमिटेड की प्रस्तावित 1600 मेगावाट ताप विद्युत विस्तार परियोजना को उस समय महत्वपूर्ण गति मिली, जब मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आयोजित अनिवार्य जनसुनवाई का सफलतापूर्वक आयोजन हुआ। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) के दिशा-निर्देशों के तहत यह जनसुनवाई आयोजित की गई थी, जिसमें दो अतिरिक्त 800 मेगावाट इकाइयों के निर्माण का प्रस्ताव स्थानीय हितधारकों के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जनसुनवाई में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, शहडोल के क्षेत्रीय अधिकारी श्री मुकेश श्रीवास्तव एवं अनुपपुर के अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी श्री दिलीप पांडे उपस्थित रहे।

यह जनसुनवाई शासकीय महाविद्यालय, लहरपुर में आयोजित की गई, जिसमें आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। कई ग्रामीणों ने परियोजना के प्रति सशर्त समर्थन जताया। जहां एक ओर रोजगार सृजन और क्षेत्रीय विकास में संयंत्र की भूमिका को सराहा गया, वहीं दूसरी ओर पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों को लेकर जागरूकता भी सामने आई।

स्थानीय लोगों ने उत्सर्जन में संभावित वृद्धि, जल स्रोतों के उपयोग और निगरानी तंत्र की पारदर्शिता को लेकर कंपनी से सवाल पूछे। इन बिंदुओं पर कंपनी के प्रतिनिधियों ने पर्यावरणीय मानकों के सख्त पालन का आश्वासन दोहराया और स्वास्थ्य, शिक्षा व कौशल विकास में निवेश की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। वहीं स्थानीय वरिष्ठ जन प्रतिनिधियों ने मौजूदा थर्मल पावर प्लांट में 2×800 MW के कोयला आधारित अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट के वृद्धि के लिए अपने समर्थन  की बात कही, इन प्रतिनिधियों में विंध्य विकास प्राधिकरण के पूर्व उपाध्यक्ष एवं बीजेपी वरिष्ठ नेता श्री अनिल गुप्ता, जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्रीमती पार्वती राठौर, कांग्रेस नेता एवं जिला पंचायत सदस्य, श्री भूपेंद्र सिंह, बीजेपी नेता श्री जय प्रकाश अग्रवाल, पूर्व नगर परिषद जैतहरी अध्यक्ष श्री राम अग्रवाल, नगर परिषद जैतहरी के उपाध्यक्ष एवं बीजेपी नेता श्री रवि राठौर शामिल थे।

पर्यवेक्षकों ने यह विशेष रूप से नोट किया कि अब ग्रामीण समुदाय के लिए सूचित भागीदारी कर रहे हैं और उत्तरदायित्व की भी अपेक्षा कर रहे हैं। जैसे-जैसे परियोजना आगे बढ़ेगी, उसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि कंपनी किस हद तक अपने विकासात्मक लक्ष्यों को टिकाऊ और समावेशी विकास के साथ संतुलित कर पाती है।

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