Tuesday, August 5, 2025

दिल्ली में फिर टकराएंगे AAP-BJP, वार्ड कमेटियों पर शुरू हुआ नया संघर्ष

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 मेयर चुनाव संपन्न होने के बाद अब निगम में भाजपा सरकार की कोशिश वार्ड कमेटियों से लेकर स्थायी समिति के गठन की है। इसके लिए भाजपा अंदरखाने तैयारी में जुटी हुई हैं। वहीं अधिकारिक रूप से अगले सप्ताह में वार्ड कमेटियों के चेयरमैन और डिप्टी चेरमैन के चुनाव की घोषणा हो सकती है।

इसमें चुनाव के लिए नामांकन और चुनाव की तारीखों की घोषणा होगी। इन चुनाव के बाद ही एमसीडी की सबसे शक्तिशाली स्थायी समिति का गठन हो सकेगा। जो कि पिछले करीब ढाई साल से लंबित है। भाजपा जब विपक्ष में थी तो आप पर यह आरोप लगाती थी उसके चलते यह देरी हो रही है।

वार्ड कमेटियों के चुनाव को लेकर किया है नियम?

उल्लेखनीय है कि एमसीडी में मेयर से लेकर वार्ड कमेटियों और स्थायी समिति के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन का चुनाव हर वर्ष वित्त वर्ष की शुरुआत में होने का प्रविधान है। चूंकि मेयर का चुनाव अप्रैल में पूरा हो चुका है तो अब अगली प्रक्रिया वार्ड कमेटियों के लिए चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन के चुनाव की होनी है।

किसके पास है बहुमत?

निगम में 12 वार्ड कमेटियां हैं। वर्तमान में 12 में सात में भाजपा के पास बहुमत हैं तो वहीं आप के पास पांच बहुमत है। भले ही सत्ता का उलटफेर निगम में हो गया लेकिन वार्ड कमेटियों में स्थिति पूर्व की तरह ही है।

इन 12 वार्ड कमेटियों में से चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन का चुनाव होगा। जबकि सिटी एसपी और दक्षिणी जोन में स्थायी समिति के सदस्य का चुनाव भी होगा। क्योंकि यह पद यहां से सदस्यों के विधायक निर्वाचित होने से रिक्त हुआ है। सिटी एसपी जोन में जहां पुनरदीप साहनी ने स्थायी समिति के सदस्य पद से इस्तीफा दिया था जबकि दक्षिणी जोन से प्रेम चौहान ने इस्तीफा दिया था।

क्यों शक्तिशाली होती है स्थायी समिति?

बता दें कि दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति सबसे शक्तिशाली समिति होती है। निगमायुक्त के पास पांच करोड़ तक की परियोजनाओं को मंजूर करने की शक्ति होती है जबकि इससे अधिक की परियोजनाओं को मंजूर करने का प्रविधान स्थायी समिति के पास है। इतना ही नहीं ले आउट प्लान से लेकर किस एजेंसी को टेंडर देना है यह शक्ति भी स्थायी समिति के पास है।

आप के सत्ता में होने पर यह मामला इसलिए लंबित था कि क्योंकि 18 वें सदस्य सुंदर सिंह का चुनाव जब सदन में हुआ था तो मेयर द्वारा सदन की बैठक को गलत तरीके से स्थगित करने को लेकर उपराज्यपाल ने अतिरिक्त आयुक्त को सदन का पीठासीन अधिकारी बना दिया था।

तत्कालीन मेयर शैली ओबेरॉय ने इसको सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी हुई है। निगम के की स्थायी समिति में 18 सदस्य होते हैं। इसमें 12 सदस्यों का निर्वाचन प्रत्येक वार्ड कमेटी से एक-एक सदस्य के तौर पर होता है। जबकि छह सदस्यों का निर्वाचन सदन में चुनाव के जरिये होता है।

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