इस्लाम धर्म में रमजान का महीना बहुत ही पाक महीना माना जाता है. पूरे महीने रोजे रखे जाते हैं और खुदा की इबादत की जाती है. भारत में 02 मार्च से रमजान का पवित्र महीना शुरू हो गया है. इस्लाम धर्म में रमजान के महीने को बहुत ही पवित्र और खास माना जाता है. रमजान के पूरे महीने में मुस्लिम धर्म के लोग खुदा की इबादत करते हैं और रोजा रखते हैं.
मिलता है 70 गुना अधिक सवाब
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमजान साल का नौवां महीना होता है. रमजान के पूरे महीने में लोग हर दिन रोजा रखते हैं और इस्लामी कैलेंडर के दसवें महीने शव्वाल का चांद दिखाई देने पर शव्वाल की पहली तारीख को खुदा का शुक्रिया अदा करते हुए ईद-उल-फितर यानी ईद का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं. वहीं, रमजान के इस पवित्र महीने में अच्छा काम करने से 70 गुना अधिक सवाब मिलता है.
महिलाएं इन दिनों नहीं रख सकती रोजा
अगर कोई महिला रमजान के महीने में रोजा रख रही है और उसे पीरियड्स हो जाते हैं, तो वह रोजा नहीं रख सकती. साथ ही, उस महिला को रोजे की कजा अदा करनी होगी. रमजान खत्म होने के बाद उन महिलाओं को अपने छूटे हुए रोजे पूरे करने होंगे और अगर वे ऐसा नहीं करेंगी, तो वे शरीयत के हिसाब से गुनहगार ठहरेंगी.
इस महीने में करें नेक काम
मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना कारी इसहाक गोरा ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि रमजान मुसलमानों के लिए बहुत ही पवित्र महीना है. इसकी फजीलत कुरान और हदीसों में बताई गई है. रमजान इसलिए भी बहुत पवित्र महीना माना जाता है क्योंकि इस महीने में किए गए नेक काम का सवाब 70 गुना बढ़ा दिया जाता है.
महिलाएं रखें इसका ख्याल
रमजान महीने में हर दिन रोजे रखे जाते हैं और हर मुसलमान पर, जो बालिग और समझदार हो, उन पर रोजा फर्ज होता है. साथ ही, रोजा छोड़ने वाला गुनहगार होता है. वहीं, महिलाओं पर भी रोजा फर्ज है, लेकिन वे शरीयत के अनुसार उस दौरान रोजा नहीं रख सकतीं जब उन्हें पीरियड्स हो रहे हों. पीरियड्स के समय महिलाओं की नमाज माफ होती है.