Thursday, January 9, 2025

असम में 300 फीट गहरे कोयला खदान में भरा पानी , कई मजदूर खदान में फंसे, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

Assam CoalMine : असम के दीमा हसाओ जिले में 6 जनवरी को एक 300 फीट गहरे कोयला खदान में उस समय अचानक पानी भर गया, जब 15-16 मजदूर वहां माइनिंग का काम कर रहे थे.  हालांकि ये प्रारंभिक जानकारी है , अभी फंसे मजदूरों की संख्या की आधिकरिक पुष्टि नहीं हुई है. मुख्यमंत्री हेमंत विश्व सरमा ने कुछ फंसे मजदूरों के बारे में अपने सोशल मीडिया पर जानकारी दी है.

Assam CoalMine दुर्घटना के बारे में सीएम ने सोसल मीडिया पर बताया 

इस घटना के बारे में असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने सोशल मीडिया X पर बताया है कि – “उमरंगसो में मजदूर कोयला खदान में फंस गए हैं. जिला कलेक्टर, एसपी और मेरे सहयोगी कौशिक राय घटनास्थल पर पहुंच रहे हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन में सेना से मदद मांगी गई है. SDRF और NDRF की टीमें घटनास्थल पर पहुंची हैं”

प्रशासन के मुताबिक ये घटना दीमा हसाओं जिले के उमरंगसो में मौजूद कोयला खदान में हुई है.  अभी तक की रिपोर्ट के मुताबिक ये एक रैट माइनर्स खदान है.खदान में आचानक करीब 100 फीट तक पानी भर गया है. पानी को पंपों की मदद से बाहर निकाल जा रहा है.

अधिकारियों के मुताबिक जानकारी मिलते ही यहां इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम, लोकल अधिकारियों और माइनिंग एक्सपर्ट की टीमों के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है. फिलहाल ये पता लगान की कोशिश की जा रही है कि यहां कितने मजदूर फंसे हुए है.

रैट माइनिंग खदान क्या है

जैसा कि नाम से ही जाहिर है कि यहां चूहे की तरह खनन का काम किया जाता है. इसका मतलब है कि यहां जो खदान मजदूर कोयला खदानों में काम करते हैं , वो चूहे की तरह एक पतले से छेद से पहाड़ के किनारे से खुदाई शुरू करते हैं और एक पोल बनाकर धीरे-धीरे हाथ के सहारे ही छोटी हैंड ड्रिलिंग मशीन से ड्रिल करके कोयला निलालते हैं, और फिर उसे बाहर लेकर आते हैं.ये एक ऐसी प्रक्रिया होती है जहां मजदूरों को पास अपनी सुरक्षा के लिए  कोई खास उपकरण तक नहीं होते हैं. भारत के खनिज बहुतायत वाले राज्यों खासकर झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर पूर्व में रैटहोल माइनिंग के जरिये खदानों में खुदाई का काम होता है, लेकिन ये काफी खतरनाक है, इसलिए इसे कई बार बैन भी किया जा चुका है.

रैट माइनिंग पर NGT  2014 में लगा चुकी है बैन

खदानों में रैट माइनिंग एक पारंपरिक खुदाई का तरीका है जो बेहद पुराना है. 2014 में इस तरीको को अवैज्ञानिक बताते हुए नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल (NGT ) ने  इस पर बैन लगा दिया था.

रैट माइनिंग कोयला खदानों में काम करने वाले मजदूरों ने ईजाद की हुई विधि है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, यानी NGT ने 2014 में इस पर बैन लगा दिया था. एक्सपर्ट्स ने इसे अवैज्ञानिक तरीका बताया था,हालांकि विशेष परिस्थितियों, यानी रेस्क्यू ऑपरेशन में रैट माइनिंग पर प्रतिबंध नहीं है.

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