SpaceX Falcon9 : एलन मस्क (Elon Musk) की कंपनी SpaceX के Falcon9 ने मंगलवार को अमेरिका में फ्लोरिडा के केप कैनावेरल से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO के GSAT-20 कम्युनिकेशन सैटेलाइट को लेकर उड़ान भरी. 4 हजार 700 किलो वजन वाले इस भारतीय उपग्रह को भारत में कम्युनिकेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर के डेवलपमेंट के लिए डिजाइन किया गया है. इस सेटेलाइ’ के एक बार चालू हो जाने के बाद कम्यूनिकेशन की दुनिया में बड़ा बदलाव आयेगा .इस सेटेलाइट के जरिये देश भर में कई अहम सेवाएं मिलेंगी, जैसे शहरों से लेकर दूरदराज तक के इलाकों के लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी और हवाई जहाज में उड़ान के दौरान भी इंटरनेट सेवा शामिल है.
SpaceX से ISRO का समझौता
इसरो ने पहली बार स्पेसएक्स के साथ इस सेटेलाइट को लांच किया है.दरअसल इसरो के कमर्शियल सेग्मेंट न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड ने इसी साल जनवरी में एलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के साथ कोलेबरेशन का ऐलान किया था. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र इसरो ने अब तक 430 से ज्यादा विदेशी उपग्रहों को लॉन्च किया है लेकिन इसरो का ये नया GSAT-N2 कम्यूनिकेशन सैटेलाइट इतना भारी था कि इसे इंडियन लॉन्च व्हिकल स्पेस तक में ले जाने में असमर्थ थे, इसलिए इसरो को इसकी लांचिंग के लिए स्पेसएक्स के साथ साझेदारी करनी पड़ी.
भारत के पास 4000 किलो तक के सेटेलाइट को स्पेस तक ले जाने की क्षमता
दरअसल भारत के पास ISRO का सबसे भारी लॉन्च व्हिकल LVM-3 है जो जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में 4 हजार किलो तक के स्पेसक्राफ्ट की लॉन्चिंग कर सकता है, लेकिन मौजूदा सेलेटालइट के लिए इससे अधिक वजन उठा सकने वाले लांचिंग व्हीकल की जरुरत थी, जिसे स्पेसेक्स ने पूरा किया है. Arianespace के पास वर्तमान समय में ऑपरेशनल रॉकेट्स की कमी और मौजूदा समय में चल रहे युद्ध के वातावऱण और रूस और चीन का विकल्प सीमित होने की वजह से भारत ने SpaceX के साथ समझौता किया जो भारत के लिए अच्छा विकल्प बन कर उभरा है.
संचार के क्षेत्र में कैसे करेगा काम ये सेटेलाइट
इसरो का ये नया उपग्रह GSAT-N2 में 32 यूजर बीम है. इसमें आठ नैरो स्पॉट बीम और 24 ब्रॉड स्पॉट बीम मौजूद हैं. इस GSAT -N2 को देश भर में मौजूद हब स्टेशनों के द्वारा सपोर्ट किया जाएगा.