Tirupati Laddu Row: तिरुपति लड्डू में मिलावट के मामले में जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक स्पेशल जांच टीम (SIT) बनाने का आदेश दिया है, जिसमें सीबीआई से 2, आंध्र प्रदेश पुलिस से 2 और फूड स्टैंडर्ड एंड सेफ्टी अथॉरिटी (FSSAI) से एक अधिकारी होंगे .ये जांच सीबीआई निदेशक की निगरानी में होगी.
Tirupati Laddu Row : जांच के लिए Supreme Court ने बनाई SIT
आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में पिछले दिनों प्रसाद के लड्डू में चर्बी और अन्य वर्जित चीजों के मिलावट के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो हुई . इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की जांच टीम को लेकर उठ रहे सवालों को देखते हुए एक स्वतंत्र जांच टीम ( SIT ) का गठन किया है जिसमें सीबीआई से 2, आंध्र प्रदेश पुलिस से 2 और फूड स्टैंडर्ड एंड सेफ्टी अथॉरिटी (FSSAI) से एक अधिकारी होंगे . जांच की निगरानी सीबीआई के निदेशक करेंगे.
लडडू में मिलावट की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी कई याचिका
आंध्रप्रदेश का तिरुपति बालाजी दुनिया भर में हिंदु धर्म में आस्था रखने वालों के लिए सबसे बड़े आस्था के केंद्र में से एक है. यहां हर रोज लाखों श्रद्धालु देश और विदेश से आते हैं. पिछले दिनों आंध्र प्रदेश के नये चीफ मिनिस्टर चंद्र बाबू नायडु ने आरोप लगाया था कि तिरुपति के लड्डू में पशुओं की चर्बी और एनिमल फैट की मिलावट करके प्रसाद बनाया जा रहा है. जिसके कारण देश भर में इस मंदिर और मंदिरों में मिलने वाले प्रसाद को लेकर लोगों के मन में शंकाएं पैदा हुई और फिर एक के बाद एक कई याचिका सुप्रीम कोर्ट पहुंची, जिसमें राज्य सरकार की जांच और रिपोर्ट पर लोगों ने सवाल उठाये. याचिकाओं में मांग की गई थी कि राज्य सरकार की मामले की पूरी जांच की जाये और राज्य सरकार के रिपोर्ट का भी पता लगाया जाये.
मंदिर ट्रस्ट ने सीएम पर लगाये आरोप
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट (TTDST) के पूर्व अध्यक्ष वाई.वी. सुब्बा रेड्डी और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी याचिका में ये कहा कि सीएम चंद्रबाबू नायडू ने राजनीतिक लाभ के लिए जांच पूरी होने से पहले ही बयान दे दिया. याचिका में ये भी कहा गया है कि जो धी जांच के लिए लैब में भेजा गया था, उसे तो प्रसाद बनाने के लिए इस्तेमाल ही नहीं किया गया था. मंदिर ट्रस्ट ने उसे गुणवत्ता में कमी बताकर वापस कर दिया था.
केंद्र सरकार के वकीन ने राज्य सरकार की SIT को बताया सही
स्वतंत्र एसआईटी बनाने के आदेश देने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील सॉलिसीटर जनरल से पूछा था कि इस मामले की जांच के लिए क्या राज्य सरकार ने जो एसआईटी बनाई है , उसे ही जांच करने दिया जाये या दूसरी बनाई जाये, इस पर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दूसरी एसआईटी बनाने की जरुरत नहीं है. राज्य सरकार की बनाई एसआईटी में सभी अच्छे अधिकारी हैं, वही जांच कर सकते हैं. तुषार मेहता ने कहा कि अगर कोर्ट चाहे तो जांच को और अधिक बेहतर करने के लिए निगरानी का काम केंद्रीय वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को दिया जा सकता है.
मंदिर ट्रस्ट के वकील कपिल सिब्बल ने किया विरोध
तिरुपति मंदिर की तरफ से पक्ष पेश कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सालिसीटर जनरल (केंद्र सरकार के वकील) तुषार मेहता के सुझाव का विरोध करते हुए कहा कि उनकी मांग एक स्वतंत्र जांच टीम बनाने की है. मंदिर ट्रस्ट की मांग पर जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने स्वतंत्र SIT बनने का आदेश देते हुए कहा कि हम एमआईटी बना रहे हैं. इसमें सीबीआई से 2, राज्य पुलिस से दो और एक अधिकारी FSSAI से होगा. इसकी निगरानी सीबाआई के निदेशक करेंगे. कोर्ट ने निर्देश दिया कि SIT में राज्य पुलिस के जो 2 अधिकारी होंगे उनके नाम आंध्र प्रदेश सरकार देगी, वहीं, FSSAI के अध्यक्ष यहां आने वाले अधिकारी का चयन करेंगे.
कोई परेशानी हो तो फिर आ सकते हैं कोर्ट – सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने फिलाहल एसआईटी बना कर इस मामले का निबटारा कर दिया है . यानी अब जो जांच होगी उसकी रिपोर्ट एसआईटी के पास आयेगी, राज्य सरकार या सुप्रीम कोर्ट के पास नहीं आयेगी. हलांकि कोर्ट ने इस मामले में ये भी ताकीद की है कि एसआईटी जांच के आधार पर अगर मुकदमा चलाने की जरूरत हुई, तो निचली अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया जायेगा, लेकिन भविष्य में इस जांच को लेकर किसी को किसी तरह की समस्या होती है, तो वो एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट आ सकते हैं.
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