मधेपुरा
ब्यूरो चीफ -अभिषेक झा
बिहार के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री इन दिनों कभी अस्पतालों में औचक निरीक्षण करते नजर आते है तो कभी डाक्टरों को उनका कर्तव्य याद रखने की नसीहत देते नजर आते हैं,इसेक बावजूद बिहार की स्वास्थ व्यवस्था का हाल बुरा है.इसका ताजा उदाहरण आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद के गढ़ माने जाने वाले मधेपुर में सामने आया है.
मधेपुरा सदर अस्पताल में एक तरफ मोबाइल का टॉर्च और इमरजेंसी लाइट जलाकर मरीजों का इलाज किया जा रहा है तो दूसरी तरफ मरीजों को अंधेरे में बेड पर छटपटाते हुए देखा गया. इस सब के बावजूद अस्पताल की हालत देखकर स्वास्थ्य प्रबंधन मूकदर्शक बने हुए हैं। रविवार को अस्पताल की बिजली लगभग कई घंटों तक लगातार गुल रही. शाम से लेकर देर रात तक डॉक्टरों को मोबाइल की रोशनी में ही मरीजों का इलाज करना पड़ा. यही नहीं सभी इमरजेंसी वार्ड सहित सभी वार्डों में बिजली गुल हो गई. जिसके कारण मरीजों ने किसी तरह अंधेरे में समय काटा. जिला अस्पताल होने के बावजूद मोबाइल की रोशनी में यहाँ दूरदराज से आये हुए मरीजों का इलाज किया जा रहा है. अस्पताल में भर्ती मरीजों की माने तो दिनभर गर्मी से बेड पर वे छटपटाते रहे लेकिन अस्पताल प्रबंधन कोई सुध लेने तक नहीं आता है. शाम में चार इमरजेंसी मरीज आये जिसका इलाज करने के लिए परिजनों को मोबाइल और टॉर्च का सहारा लेना पड़ा. मरीजों व परिजनों का कहना है कि सरकारी अस्पताल में बेहतर सुविधा देने की सरकार व स्वास्थ्य विभाग कितना ही दावा कर ले लेकिन धरातल की स्थिति अस्पताल आने वाले गरीब मरीजों व परिजनों को ही भुगतना पड़ता है.
मधेपुरा सदर अस्पताल की हालत इतनी बदतर है कि इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को इलाज के लिए रौशनी की व्यवस्था भी खुद ही करना पड़ती है. अस्पताल कर्मचारियों से जब इसके बारे में जानकारी मांगी गई तो उन्होंने बताया कि बिजली आपूर्ति बंद है. प्रबंधन को इसकी व्यवस्था करनी चाहिए लेकिन इसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है.