देश की रक्षा के लिए शहीद हुए जांबाज़ को देश अक्सर याद रखता है. भारत की सरज़मीं की रक्षा के लिए दुश्मनों की गोली खाने वाले शहीदों को वीरता पुरस्कार से नवाज़ा जाता है . इस बीच एक खबर ऐसी सामने आई है जिसने ये बता दिया की भारत की रक्षा में एक जानवर भी अपनी जान दे सकता है . जी हाँ हम बात कर रहे हैं . आतंकियों की गोली का शिकार हुए सेना के खोजी कुत्ते ज़ूम की. जिसकी शहादत को यादगार बनाने के लिए सेना ने कुछ ख़ास अंदाज़ में उसे अंतिम विदाई दी .
बता दें श्रीनगर में मौजूद चिनार कोर मुख्यालय में शहीद खोजी कुत्ते जूम को सैन्य अधिकारियों ने श्रद्धांजलि दी. श्रद्धांजलि आयोजन में लेफ्टिनेंट जनरल एडीएस औजला समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे. ये आयोजन उस शहीद के नाम पर रखा गया . जिसने आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान गोलियां खाई और वीरगति को प्राप्त होगया . एनकाउंटर में गंभीर रूप से घायल हुए जूम की 72 घंटे के इलाज के बाद श्रीनगर के 54 एडवांस फील्ड वेटनरी हॉस्पिटल में मौत हो गई.
वह 10 अक्तूबर को अनंतनाग के टंगपावा इलाके में आतंकियों की गोली का शिकार हुआ था. उत्तरी कमान के अधिकारी ने बताया, आर्मी असॉल्ट डॉग जूम ने 72 घंटे तक बहादुरी से जूझते ‘इन द लाइन ऑफ ड्यूटी’ पर अपनी जान की कुर्बानी दे दी. जूम को दक्षिण कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान उस स्थान पर भेजा गया जहां आतंकी छिपे हुए थे.
उसने जब कमरे में पहुंचकर आतंकियों पर धावा बोला तो छिपे आतंकियों ने उसे दो गोलियां मार दीं. इससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया था. गंभीर रूप से घायल होने के बाद हुई सर्जरी के बाद जूम की हालत स्थिर थी। उसके टूटे हुए पिछले पैर में प्लास्टर कर दिया गया था और चेहरे की चोटों का भी इलाज किया जा रहा था.
आठ माह से सेवा में सक्रिय था. लेकिन अब वो उनके बीच नहीं रहा .
सैन्य अधिकारियों ने बताया कि जूम की आयु दो साल और एक माह थी. वह बेल्जियम की चरवाहा नस्ल यानी जर्मन शेफर्ड था और पिछले आठ महीनों से सेवा में सक्रिय था. उसे आतंकियों का पता लगाने और उन्हें खत्म करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था. उसने अपना काम बखूबी निभाया. इसलिए सेना की उत्तरी कमान में अपने इस बहादुर सहयोगी को श्रद्धांजलि दी गई.
ये एक लौता ऐसा कुत्ता नहीं है. जिसने भारत की मिट्टी का क़र्ज़ अपनी जान देकर चुकाया हो . इससे पहले सेना ने उत्तरी कश्मीर के बारामुला जिले के वानीगाम में 30 जुलाई को एक ऑपरेशन के दौरान दो साल के असाल्ट डॉग एक्सेल को खो दिया था. आजादी की अमृत मोहत्सव के मौके पर 15 अगस्त को एक्सेल को मरणोपरांत वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. आज फिर भारतीय सेना ने अपना एक वीस श्वान खो दिया है. सेना ने करीब ढाई माह में अपने दो बहादुर श्वान खो दिए.