अयोध्या: देशभर में इस वक्त अतिक्रमण हटाओ अभियान और सड़क चौड़ीकरण का काम चल रहा है. जिसके तहत राजधानी दिल्ली हो या उत्तर प्रदेश हर जगह निष्पक्षता से एक्शन लेते हुए सभी अवैध निर्माणों को ध्वस्त किया जा रहा है .अवैध निर्माण हटाने के मार्ग में चाहे सामने कोई रसूखदार की कोठी हो या मंदिर-मस्जिद सभी पर बुलडोजर चलाया जा रहा है. लेकिन, अब इन सबके बीच राम नगरी अयोध्या में मंदिर तोड़ने के आदेश पर महाभारत छिड़ गई है. जिसकी वजह से योगी और मोदी की डबल इंजन सरकार को कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है.
दरअसल उत्तर प्रदेश के अयोध्या में एक प्राचीन मंदिरों के धवस्तिकरण का आदेश हाईकोर्ट की तरफ से दिया गया है, जिसके बाद एक्शन ज़ोरों पर है. अब इसे लेकर विवाद शुरू हो गया. रामानुज पीठ के जगद्गुरु स्वामी वासुदेवाचार्य महाराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगाई है कि अय़ोध्या नगरी में मंदिर को ध्वस्त ना किया जाये. उन्होंने रविवार, 3 मार्च को पीएम मोदी के नाम पर एक खत लिखा. इस खत में प्रभु श्रीराम की नगरी में विरासत से जुड़े भवनों और प्राण-प्रतिष्ठित मंदिरों को न तोड़ने की अपील की गई है. पत्र में संकेत दिए हैं कि ऐतिहासिक रामानुज मंदिर को तोड़ने से जुड़े आदेश को लेकर संतों में नाराजगी है.
मंदिर तोड़ने के आदेश पर महाभारत
कोसलेश सदन धर्मादाय ट्रस्ट के अध्यक्ष और जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य महाराज ‘विद्याभास्कर’ की ओर से पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को संबोधित करते हुए पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि, कैकेयी घाट टेढ़ी बाजार रास्ते में पड़ने वाले एक ऐतिहासिक मंदिर का अस्तित्व संकट में है. यह शिखर राजगोपुरम के रूप में है और इसमें द्रविड़ शैली वाली मूर्तियां प्राण-प्रतिष्ठित हैं. इसके संस्थापक श्री रामजन्मभूमि आंदोलन के सूत्रधार रहे हैं और उन्हीं ने इसे स्थापित किया था. चिट्ठी में आगे लिखा गया, “कृपया शिखर को सुरक्षित कर हइस कार्य को पूरा करें. इसे हटाने करने का संदेश जनता में अच्छा नहीं जाएगा. आधुनिक तकनीक से इसे सुरक्षित कर नीचे से रास्ता दिया जा सकता है. यह अयोध्या की धरोहर के रूप में है. ऐसे में इसे सुरक्षित रखने का बंदोबस्त करें. पत्र में यह भी कहा गया है कि, हमे मार्ग के लिए भूमि देने में आपत्ति नहीं है लेकिन मंदिर और ऐतिहासिक शिखर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए काम किया जाए.”
इस पूरे मामले को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा है कि अगर संत समाज की अपील नहीं मानी गई तो इसका लोकसभा चुनाव 2024 में असर देखने को मिल सकता है. आशंका है कि संत समाज के लोग विरोध पर उतर सकते हैं.
खास बात यह है कि रामानुज पीठ श्रीराम जन्मभूमि के पास है, जबकि सड़क को चौड़ा करने के लिए इसे कुछ दिनों बाद ध्वस्त किया जा सकता है. इतना ही नहीं, इस एक्शन के दौरान वहां कई और ऐतिहासिक मंदिर ध्वस्त किए जा सकते हैं.