Sunday, September 8, 2024

कम नंबर आने पर सुसाइड नोट लिख कर छात्रा लापता

पटना
देशभर में केंद्रीय और राज्य शिक्षा बोर्डस के 10वीं और 12वीं के रिजल्ट आ गये हैं, और इसके साथ ही ये सवाल फिर से हवा में तैर रहा है कि बच्चो को नंबरों के दबाव से कैसे बचाया जाये? बच्चे एक तरफ 100-100 प्रतिशत तक नंबर ला रहे है लेकिन कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जो नंबरों की दौड़ में थोड़े पीछे रह गये हैं. इन बच्चों को दवाब नंबरों के दबाव से कैसे बचाया जाये?
मुजफ्फरपुर में 10वीं में कम नंबर आने से परेशान एक छात्रा सुसाइड नोट लिखकर घर से लापता हो गई है.15 साल की छात्रा ने नोट में लिखा है,’मेहरबानी करके मेरी लाश को नहीं खोजिएगा,भूल जाइएगा कि आपकी कोई बेटी थी…
रिजल्ट आने के बाद शनिवार शाम से लड़की अपने घर से लापता है, माता पिता का बुरा हाल है. पिता रो रो कर गुहार लगा रहे हैं कि बेटी घर लौट आओ, लेकिन अभी तक छात्रा का कोई पता नहीं है.
दरअसल नंबर 1 और नंबर 2 की दौड़ ने युवा होते बच्चों के मानसिक हालत पर ऐसा दबाव डाला है कि उन्हें लगता है नंबरों की दौड़ में पीछे रह गये तो दुनिया में कुछ नहीं बचा. लेकिन क्या ऐसा है?
लगातार कई सालों से सरकार और शिक्षा बोर्ड इस हालत पर नियंत्रण पाने के लिए उपाय कर रहे है. इसी तरह की प्रतिस्पर्धा से बचने के लिए कई बोर्ड्स ने टॉपर्स की लिस्ट जारी नहीं की है , फिर भी सामाजिक ताना बाना ऐसा है कि बच्चों पर अनचाहे भी दबाव बन जाता है. 15 साल की छात्रा ने कम नंबर आने पर आत्महत्या जैसा कदम उठाने की सोच ली, ये बच्चे की नहीं समाज और परिवार के लिए सोचने की बात है.हलांकि बच्चे के पिता का कहना है कि उनके या परिवार की तरफ से बच्ची पर कोई दवाब नहीं था, इसके बावजूद उसने ऐसा क्यों सोचा ये उनकी समझ से परे है?
उम्मीद की जानी चाहिये कि छात्रा को जल्द ही अपनी गलती का एहसास होगा और वो अपने रोते बिलखते परिजनों के पास लौट आयेगी.

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