ब्यूरो रिपोर्ट,पटना : लोकसभा 2024 का चुनाव बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार Nitish Kumar के लिए करो या मरो की लड़ाई होगी. नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन में एक बड़ी भूमिका की तलाश में हैं और एक समय में कई राजनीतिक जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार हैं. ये आने वाले समय में उनके राजनीतिक करियर का एक निर्णायक मोड़ हो सकता है.
Nitish Kumar का बीजेपी के साथ प्रेम-नफरत का रिश्ता
नीतीश कुमार का जेडीयू का नेतृत्व संभालने के बाद उनकी नजर राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका पर है. वह उन चुनिंदा नेताओं में से हैं, जिनके पास लंबा राजनीतिक अनुभव है. उनके 4 दशक से अधिक के राजनीतिक करियर में कोई दाग नहीं है. शुरुआत से ही वह एक समाजवादी नेता की छवि रखते हैं, उनका बीजेपी के साथ प्रेम-नफरत का रिश्ता रहा है. उन्होंने कई मौकों पर वामपंथी दलों और कांग्रेस के साथ भी गठबंधन किया है. ऐसे कई फैक्टर नीतीश के पक्ष में हैं.
नीतीश इंडिया गठबंधन के महत्वपूर्ण सदस्य
नीतीश इंडिया गठबंधन के महत्वपूर्ण सदस्य हैं. हिंदी भाषी राज्यों में बीजेपी की ताकत बहुत ज्यादा है. हाल ही में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में जीत के बाद बीजेपी का दबदबा और भी बढ़ गया है. अब विपक्षी गठबंधन को एक ऐसे चेहरे की जरूरत है. जिसमें हिंदी भाषी राज्यों में नरेंद्र मोदी का मुकाबला करने की ताकत हो. बिहार के सीएम के तौर पर नीतीश कुमार के पास सरकार चलाने के साथ-साथ गठबंधन का गणित भी संभालने का अनुभव है.
भारतीय राजनीति में बन सकते है गेमचेंजर
बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार को राज्य में जाति आधारित सर्वेक्षण कराने का श्रेय जाता है. यह मुद्दा भारतीय राजनीति में गेमचेंजर साबित हो सकता है. नीतीश कुमार कुर्मी समाज से आते हैं, जो अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी की केटेगरी में शामिल है. इसी जाति से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आते हैं.नीतीश ने शुक्रवार को जेडीयू ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान 4 प्रस्ताव पारित किए थे. इसमें से एक प्रस्ताव ऐसा था जिसमें देशभर में जाति आधारित जनगणना का समर्थन करना था. यहां तक कि कांग्रेस जो कि बिहार में नीतीश की सहयोगी पार्टी है, वह भी जाति आधारित जनगणना का समर्थन कर रही है.