मुजफ्फरपुर (रिपोर्टर नवीन कुमार ओझा): बिहार के Muzaffarpur से एक गजब का मामला सामने आया है. यहाँ नसबंदी के बावजूद महिला ने तीन बच्चों को जन्म दिया. महिला ने 4 बच्चे होने के बाद 2015 में नसबंदी का ऑपरेशन कराया था. हैरानी की बात ये है कि ऑपरेशन के बावजूद महिला ने तीन और बच्चों को जन्म दिया है.
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एक तरफ भारत सरकार देश में बढ़ती आबादी को रोकने के लिए तरह तरह के कदम उठा रही है. परिवार नियोजन प्रोग्राम में आम लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पखवारे मानाये जाते है. वहीं सरकारी अमले की लापरवाही उसमें पलीता लगा रही है. बच्चों के जन्म में अंतर रखने और सीमित परिवार के लिए सबसे प्रभावी महिला नसबंदी मानी जाती है. फिर भी नसबंदी फेल होने के मामले बिहार में लगातार सामने आ रहे हैं.
Muzaffarpur Nasbandi सर्जरी की खुली पोल
मामला,मुजफ्फरपुर जिले के गायघाट क्षेत्र के केवटसा गांव की रहने वाली जूली देवी और उनके पति नीरज कुमार सिंह का है. 2015 में नसबंदी होने के बाद भी इन्होंने दो बच्चों को जन्म दिया और फिर गर्भवती हुई. जूली की नसबंदी सर्जरी 2015 में गायघाट के सरकारी अस्पताल में हुई थी. नसबंदी ऑपरेशन होने के बावजूद गर्भ ठहर गया. गर्भ का पता चलने पर परिजनों ने तत्कालीन सिविल सर्जन के पास शिकायत दर्ज कराई और मुआवजे की मांग की. पजूली पिछले 8 साल से इंसाफ की लड़ाई लड़ रही है.इश बीच उसने दो और बच्चों को जन्म भी दिया. जूली के पति नीरज कुमार सिंह एक साधारण ग्रामीण हैं और दूसरे के खेतों में मेहनत मजदूरी करके अपना गुजारा करते हैं. लगभग 20 साल पहले उसने जूली से शादी की थी.शादी के बाद चार संताने हुए. चाप बच्चे पैदा हो जाने के बाद उसने पत्नी का बंध्याकरण कराने का फैसला किया औऱ 2025 में नसबंदी करवा दी.
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सिविल सर्जन ने मुआवजे में दिये 6000 हजार
नसबंदी के बावजूद बच्ची के जन्म होने पर उनकी पत्नी को तत्कालीन सिविल सर्जन की ओर से 6000 रुपए मुआवजे की राशि भी दी गई. फिर परिवार नियोजन में बच्चों के बीच गैप रखने वाला इंजेक्शन अंतरा जूली को लगाया गया. इस बीच अंतरा को इंजेक्शन लगने के बाद उल्टी होने की शिकायत हुई. जांच कराई तो पता चला कि वो एक बार फिर से गर्भवती है.
वहीं, नसबंदी ऑपरेशन फेल होने की शिकायत और संबंधित डॉक्टर पर कार्रवाई के लिए ये परिवार पिछले कई वर्षो से स्वास्थ्य विभाग के चक्कर लगा रहा है लेकिन वहां से कोई मदद नहीं मिली. इसके अलावा शासन की ओर से नसबंदी ऑपरेशन फेल होने पर मिलने वाली आर्थिक सहायता भी नहीं मिली. पूरे मामले को लेकर प्रभारी सिविल सर्जन का कहना है कि उन्हें इस मामले के बारे में कोई जानकारी नहीं है क्योंकि ये नसबंदी फेल उनके समय का नहीं है, इसलिए टीम बना कर मामले कि जांच कराई जाएगी.