मध्यप्रदेश:प्रदेश में सरकारी नौकरी पाने के लिए दूसरे राज्यों के स्टूडेंट्स फर्जी दस्तावेज लगाकर बड़ा खेल रच रहे हैं.एमपी के चार इंस्टीट्यूट ने स्टूडेंट्स की न्यूनतम आयु 17 साल पूरी नहीं होने के बावजूद शैक्षणिक सत्र में प्रवेश दे दिया.Paramedical Council के नियम के खिलाफ चीज़ें चल रही थी.
Paramedical Council नियम क्या कहता है
मध्यप्रदेश पैरामेडिकल काउंसिल के नियम के अनुसार पैरामेडिकल कोर्सेज जैसे लैब टेक्नीशियन और रेडियोग्राफर में 12वीं में जीव विज्ञान आवश्यक है लेकिन मध्यप्रदेश पैरामेडिकल काउंसिल ने कुछ विद्यार्थी को 12वीं में गणित विषय से पास होने के बावजूद प्रवेश दे दिया.इसके अलावा राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल, जयपुर में 30 जुलाई-2020 तक आवेदन करने वालों का मध्यप्रदेश पैरामेडिकल काउंसिल में पंजीकरण ही नहीं था.
जांच के दौरान हुआ खुलासा
यह खुलासा राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल के पंजीकृत अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच के लिए गठित की गई पांच लोगों की कमेटी टीम ने किया , इसके बाद राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल ने 413 अभ्यर्थियों के अस्थायी तौर पर काउंसिल से नाम हटा दिया है.राजस्थान अधीनस्थ कर्मचारी चयन बोर्ड, जयपुर की ओर से जारी चयन सूची में मध्यप्रदेश के चार संस्थानों के 131 लैब टेक्नीशियन और 282 सहायक रेडियोग्राफर शामिल हैं.इनके दस्तावेजों में गड़बड़ी मिली है. अगर ये गड़बड़ी सही पाई जाती है तो नौकरी से तो जाएंगे ही, जेल भी जा सकते हैं.
जम्मू कश्मीर भेजे गए दस्तावेज
सत्यापन के लिए जम्मू कश्मीर भेजे गए दस्तावेज फर्जी मिले. जम्मू-कश्मीर से भी करीबन 50 छात्रों ने पैरामेडिकल कोर्स का डिप्लोमा लाकर राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल में पंजीकरण के लिए आवेदन किया.जम्मू-काश्मीर काउंसिल ने पत्र लिखकर पुष्टि की है.
रजिस्ट्रार ने क्या कहा
पांच सदस्यीय कमिटी की रिपोर्ट देने के बाद काउंसिल की टीम भोपाल जाकर दस्तावेजों की जांच करेगी. नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ उचित कार्यवाही की जाएगी. फर्जी डिप्लोमा या डिग्री लाने वालों का काउंसिल किसी भी हालत में पंजीकरण नहीं करेगी.वहीं राजस्थान पैरामेडिकल एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष जतन कुमार का कहना है कि राज्य के बाहर से कोर्स करके आने वालों के पंजीकरण पर रोक लगानी चाहिए.बाहर से फर्जी डिप्लोमा या डिग्री लाने वालों के खिलाफ सरकार को सख्त कार्यवाही करनी चाहिए.