पटना : बिहार में जाति आधारित सर्वे का नतीजा (Bihar Caste Census report) सरकार ने घोषित कर दिया है. बिहार सरकार के प्रभारी मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह आज पटना में नतीजे सामने रखे. आकड़ों के मुतबाकि बिहार में 2 करोड़ 83 लाख 44 हजार 160 परिवार हैं. इसमें पिछड़ा वर्ग 27.12%, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01%, अनुसूचित जाति 19.65%, अनुसूचित जनजाति 1.68% और सामान्य वर्ग 15.52% की आबादी शामिल है.
बिहार की तकरीबन 13 करोड़ की आबादी में 82 फीसदी हिंदू और 17.7 फीसदी आबादी मुसलमानों की है. जातीय जनगणना के आंकड़े जारी होने के बाद डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि ये एक ऐतिहासिक क्षण है, दशकों के संघर्ष के बाद ये परिणाम सामने आया है.
बिहार में जाति आधारत गणना कराने का वादा किया और उसे पूरा किया- तेजस्वी यादव , डिप्टी सीएम, बिहार #Bihar #BiharCasteCensus #BiharNews @yadavtejashwi @RJDforIndia pic.twitter.com/F8JwLFLPtv
— THEBHARATNOW (@thebharatnow) October 2, 2023
Bihar Caste Census Report में जातियों के आंकड़े (प्रतिशत में)
ब्राह्मण- 3.65 ,भूमिहार- 2.86, राजपूत- 3.45 कोइरी- 4.2, कुर्मी- 2.8
कायस्थ- .60 %, बनिया- 2.31, मल्लाह- 2.60 यादव- 14.26, मोची,चमार,रविदास- 5.2 ,मुसहर- 3.08
पूरी रिपोर्ट नीचे देखिये ….
दो चरणों में हुआ Bihar Caste Census
दो चरणों में हुए जाति आधिरित सर्वे के पहले चरण में 7 जनवरी से गणना शुरु हुई थी, इस चरण में मकानों दुकानों की गिना गया. यह चरण 21 जनवरी 2023 को पूरा कर लिया गया था.
15 अप्रैल 2023 से दूसरे चरण की गनणा शुरु हुई, इश चरण में लोगों से डेटा जुटाए गए, दूसरे चरण में परिवारों की संख्या, उनके रहन-सहन, आय आदि के आंकड़े जुटाए गए.
Bihar Caste Census मामला पहुंचा था कोर्ट
कोर्ट का फैसला आने तक जातिगत गणना के दूसरे फेज का काम तकरीबन 80 फीसदी पूरा हो चुका था. तभी पटना हाईकोर्ट के दखल के बाद 4 मई को जातिगत गणना रोक दी गई. एक अगस्त को पटना हाईकोर्ट ने गणना के खिलाफ सभी याचिकाएं खारिज कर दी थीं.हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सरकार चाहे तो गणना करा सकती है. इसके तुरंत बाद एक बार फिर से जाति आधारित गणना का काम शुरु हुआ. कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने सभी जिसों के जलीधिकारियों (DM) खो बाकी बचे काम को पूरा करन के आद आदेश दिये.
Caste Census पर बिहार सीएम नीतीश कुमार का तर्क
जाति आधारित जनगणना लंबे तर्क वितर्क के बाद पूरा हुआ है. इस सर्वे को लेकर ये तर्क दिया गया कि सरकार जाति के आधार पर समाज को बांटना चाहती है औऱ इसका राजनीतिक फायदा उठाना चाहती है, इस तर्क का जब सीएम नीतीश कुमार ने दिया कि बिहार सरकार जातीय गणना नहीं, सिर्फ लोगों की आर्थिक स्थिति और उनकी जाति से संबंधित जानकारी लेना चाहती है. जिससे उनकी बेहतरी के लिए जन कल्याणकारी योजनाएं बनाई जा सके. सरकार उन्हें बेहतर सेवा देने के लिए एक ग्राफ तैयार कर सके.
पढ़िये बिहार में किस जाति के हैं कितने लोग …..