केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को में कहा कि वह जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए कोई सटीक समय सीमा नहीं दे सकती, लेकिन वह चुनाव कराने के लिए तैयार है. केंद्र सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर का केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी है.
केंद्र ने चुनाव नहीं कराने पर बार-बार बिगड़ती कानून-व्यवस्था का दिया हवाला
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि चुनाव कराने के लिए सटीक समय-सीमा बताने में असमर्थता घाटी में बार-बार कानून-व्यवस्था की गड़बड़ी के कारण है, लेकिन अदालत को आश्वासन दिया कि राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए पर्याप्त प्रगति हुई है.
तुषार मेहता ने कहा, ‘सरकार चुनाव के लिए तैयार है. यह निर्णय भारत के चुनाव आयोग और राज्य के चुनाव आयोग को लेना है.’
कश्मीर में सामान्य हालात को लेकर दिए सरकार के आकड़ों सही नहीं-सिब्बल
हालांकि याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने घाटी में सामान्य स्थिति को लेकर पेश किए गए केंद्र सरकार के आंकड़ों का विरोध किया.
सिब्बल ने कहा,’यदि आपके पास 5,000 लोग नजरबंद हैं और पूरे राज्य में 144 लोग हैं, वहाँ कोई बंद नहीं हो सकता! तो मेरा अनुरोध है कि कृपया इस क्षेत्र में प्रवेश न करें वरना हमें भी इसका मुकाबला सभी प्रकार के तथ्यों से करना होगा,’
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) चंद्रचूड़ ने हालांकि स्पष्ट किया कि चुनौती का फैसला पूरी तरह से संवैधानिक तर्कों के आधार पर किया जाएगा, न कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के आधार पर.
कब तक होगा जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल-सीजेआई
आपको बता दें सीजेआई ने पहले सॉलिसिटर जनरल से केंद्र सरकार से निर्देश लेने को कहा था कि क्या जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए क्या कोई निश्चित समय सीमा है, साथ ही इस बात पर जोर दिया था कि लोकतंत्र की बहाली महत्वपूर्ण है.
विशेष रूप से, अदालत ने कहा था कि 26 जनवरी, 1950 को अस्तित्व में आई जम्मू-कश्मीर की पूर्ण स्वायत्तता और 5 अगस्त, 2019 को हुए इसके पूर्ण एकीकरण के बीच व्यापक खाई को अंतरिम अवधि में काफी हद तक पाट दिया गया था.
सीजेआई ने पूछा था कि, ‘यह स्पष्ट है कि 1950 से 2019 के बीच 69 वर्षों में काफी हद तक एकीकरण पहले ही हो चुका था. और इसलिए 2019 में जो किया गया, क्या वह वास्तव में उस एकीकरण को हासिल करने के लिए एक तार्किक कदम था?’
किस मामले पर हो रही है सुनवाई
5 अगस्त, 2019 को, केंद्र सरकार ने पूर्ववर्ती राज्य जम्मू और कश्मीर से विशेष दर्जा छीनने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का निर्णय लिया. केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाकर जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया. अनुच्छेद 370 के प्रावधानों और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को 2019 में एक संविधान पीठ को भेजा गया था.
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