प्रयागराज : भारतीय सनातनी परंपरा में चातुर्मास का बड़ा महत्व है. खास कर साधु संन्यसियों के लिए ये समय एक जगह पर रह कर साधना करने का होता है. पर्यावरण की दृष्टि से साधुओं का चातुर्मास अत्यंत महत्वपूर्ण है. 4 माह तक साधु संत किसी जीव की हत्या, किसी वनस्पति पर उनका पैर न पड़े, इससे बचने के लिए कहीं भी ना जाकर एक ही स्थान पर रहते हैं. भजन पूजन करते हैं, इसे ही चातुर्मास कहा जाता है.
बरसात के मौसम के 4 माह कहे जाते है चातुर्मास
भारतीय कैलेंडर के मुताबिक साधु संन्यासियों के लिए चातुर्मास का मतलब बरसात के मौसम के चार माह होते हैं. प्रायगराज के स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी के मुताबिक बरसात के माह में जिस दिन भगवान शयन करते हैं हम उसे हरी सैनी एकादशी कहते हैं .हरिशयनी एकादशी से लेकर के देव उठानी एकादशी तक के समय को चातुर्मास माना जाता है.

चार माह तक संत महात्मा नहीं करते हैं यात्राएं
स्वामी स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी के मुताबिक इन 4 माह में साधु महात्मा बाहर इसलिए नहीं जाते क्योंकि सनातन धर्म एक अहिंसात्मक धर्म है .किसी भी महापुरुष से हिंसा ना हो इसके लिए वह एक जगह पर रह करके साधना, भजन, पाठ पूजा करते हैं. वर्तमान के समय में पर्यावरण के लिए भी हम इनका समर्थन करते हैं, क्योंकि इसमें कई जीव का जन्म होता है . अंडज, पिंडज, स्वेतज, जलचज, थलचर, नवचर का जन्म होता है. जिसका तलवे के नीचे पड़ने पर ही मृत्यु हो जाती है.ऐसे जीवों को भी ध्यान में रखते हुए हम महात्मा साधु संन्यासी कभी भी हिंसा के लिए उत्सुक नहीं होते . एक जगह रह करके भगवान की साधना आराधना करते हैं. पूजा करते हैं
स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी के मुताबिक आज से नहीं, त्रेता ,द्वापर, सतयुग से यह प्रथा चली आ रही है . भगवान राम 4 महीने तक भगवती सीता की खोज में जब निकले थे, जिस दिन देव उठानी एकादशी हुई उसी दिन भगवान राम ने अपनी यात्रा को स्थगित किया. 4 महीने तक कहीं नहीं गए थे . ऐसे ही भगवान कृष्ण ने भी किया था.
चातुर्मास व्रत अनादि काल से चला आ रहा है, सनातन धर्म में आज भी साधु संन्यासी उसी परंपरा का पालन करते हैं.
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चातुर्मास में किन किन चीजों की है मनाही
सनातनी परंपरा में माना जाता है कि इन चार महीनों में जगत पालक भगवान विष्णु शयन के लिए चले जाते हैं. इसलिए इस दौरान किसी भी तरह के मांगलिक कार्य जैसे विवाद, मुंडन, यज्ञोपवित, गृहप्रवेश , यत्ज्ञोपवित जैसे संस्कार वर्जित होते हैं.