इलाहाबाद :ज्ञानवापी (Gyanvapi) परिसर का भारतीय पुरातत्व विभाग से सर्वे कराने के वाराणसी अदालत के आदेश औऱ सिविल वाद की वैधता को लेकर दाखिल याचिकाओं के कुछ मुद्दों पर 26 मई को फिर से सुनवाई होगी.

दोनों पक्षों की दलील पूरी , फैसला सुरक्षित
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदु पक्ष और मुस्लिम पक्ष की ओर से बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था और फैसला आने तक सर्वे कराने के वाराणसी की अदालत के आदेश पर लगी रोक बढ़ा दी थी. फैसला लिखते समय कोर्ट ने कुछ विंदुओं पर पक्षकारों के अधिवक्ता से स्पष्टीकरण करने के लिए फिर से सुनवाई का आदेश दिया है.यह आदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिकाओं की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने दिया है.
मुस्लिम पक्ष की दलील
याचियों की तरफ से बहस की गई थी कि प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट 1991की धारा 4 के तहत सिविल वाद पोषणीय नहीं है.स्थापित कानून हैं कि कोई आदेश पारित हुआ है और अन्य विधिक उपचार उपलब्ध नहीं है तो अनुच्छेद 227के अंतर्गत याचिका में चुनौती दी जा सकती है.
हिंदु पक्ष की दलील
वहीं प्रतिवादी मंदिर पक्ष का कहना था कि भगवान विश्वेश्वर स्वयंभू भगवान है. वह प्रकृति प्रदत्त है. मानव द्वारा निर्मित नहीं है. हिंदु पक्ष की तरफ से इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के एम सिद्दीकी बनाम महंत सुरेश दास और अन्य केस के फैसले का हवाला दिया था. हिंदु पक्ष की तरफ से कहा गया कि मूर्ति स्वयंभू प्राकृतिक है. इसलिए प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट की धारा 4 इस मामले में लागू नहीं होगी.
हिंदु पक्ष की तरफ से सहा गया है कि आदेश 7 नियम 11 सिविल प्रक्रिया संहिता की अर्जी वाद के तथ्यों पर ही तय होगी. सिविल वाद में लिखा है कि स्वयंभू विश्वेश्वर नाथ मंदिर सतयुग से है.15अगस्त 1947 से पहले और बाद में लगातार निर्बाध रुप से पूजा की जा रही है.
मुस्लिम पक्ष की और से याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि कोई स्वयंभू भगवान सतयुग में नहीं था ,इसका निर्धारण साक्ष्य से ही हो सकता है.
यह भी तर्क था कि वाराणसी अदालत के आदेश के खिलाफ याची की पुनरीक्षण अर्जी खारिज हो चुकी है. कोर्ट ने आपत्ति को पोषणीय नहीं माना.इस आदेश के खिलाफ अनुच्छेद 227 में याचिका पोषणीय नहीं है. याचिका खारिज की जाय.
कोर्ट ने दोनों पक्षों की लंबी चली बहस के बाद सभी विचाराधीन याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित कर लिया था . कुछ मुद्दों को स्पष्ट करने के लिए फिर से सुनवाई होगी.
हिंदु पक्ष ने 16 मई को लगाई थी नई याचिका
16 मई को पूरे ज्ञानवापी परिसर का ASI सर्वे की वाराणसी के जिला अदालत में हिंदू पक्ष की तरफ से एक नई याचिका दायर की गई थी. जिसमें अदालत ने मुस्लिम पक्ष से इसके खिलाफ आपत्ति मांगी थी.
आपत्ति देने की तारीख 19 मई थी लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इसे 22 मई की तारीख को दाखिल करने की अदालत से प्रार्थना की थी. 22 मई 2023 को मुस्लिम पक्ष ने अपनी लिखित आपत्ति जिला अदालत में दाखिल कर दी है.
इस आपत्ति के पैरा नंबर 3 में यह दलील दी गई है कि मुस्लिम बादशाह औरंगजेब कतई निर्दयी नहीं था और ना ही उसने आदि विशेश्वर मंदिर को क्षति पहुंचाई थी.
हालांकि एएसआई सर्वे के खिलाफ दी गई आपत्ति में इस तरह की दलील का कोई अर्थ नहीं होता है,लेकिन मुस्लिम पक्ष ने औरंगजेब को महिमामंडित करते हुए उसे निर्दयी की बजाय दयालु घोषित करने की तर्क रखी थी .हिंदू पक्ष के वकीलों ने इस पर घोर एतराज जताया है. उनका कहना है कि एएसआई सर्वे के खिलाफ दी गई दलील में इस तरह का तर्क और प्ली देना गलत है. जिसका हम कोर्ट में जवाब देंगे.