पटना (अभिषेक झा,ब्यूरो चीफ) : बिहार में जातीय जनगणना (Bihar Caste Census) और आर्थिक सर्वेक्षण (economic survey) के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई है. 4 मई गुरुवार को इस मामले में अदालत अंतरिम आदेश पास करेगा.
पटना हाईकोर्ट में बिहार में जारी जाति आधारित जनगणना (Bihar Caste Census) और आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौति दी गई थी. याचिकाओं पर पटना हाइकोर्ट के जस्टिस अखिलेश कुमार और चीफ जस्टिस के वी चंद्रण की खंडपीठ ने सुनवाई की. सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से पूछा कि जाति के आधार पर गणना कराना और आर्थिक सर्वेक्षण कराना क्या कानूनी रूप से जरूरी है, या कोई कानूनी बाध्यता है कि जाति आधारित जनगणना और आर्थिक सर्वेक्षण कराई जाये. कोर्ट ने ये भी जानना चाहा कि ये अधिकार राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में आता है या नहीं ? अदालत ने पूछा कि क्या इससे निजता के अधिकार का भी उल्लंघन होता है ?
जाति आधारित जनगणना पर क्या क्या हुई दलील ?
बिहार में चल रहे जाति आधारित जनगणना और आर्थिक सर्वेक्षण पर याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने अदालत को बताया कि बिहार सरकार राज्य में जो जाति आधारित जनगणना और आर्थिक सर्वेक्षण करवा रही है वो राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. याचिकाकर्ता के मुताबिक सरकार के ये कदम संवैधानिक प्रवधानों के खिलाफ है.
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केंद्र सरकार प्रावधानों अंतर्गत ऐसा कर सकती है लेकिन ये राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है.याचिकाकर्ता ने ये भी बताया कि राज्य सरकार एक आंकड़ा एकत्र करने के लिए 500 करोड़ खर्च कर रही है. इस के जवाब में राज्य सरकार के वकील ने कोर्ट मे दलील दी कि बिहार सरकार राज्य में जन कल्याणकारी योजनाएं बनाने और सामाजिक जीवन के सुधार के लिए ये सर्वे करवा रही है .
इस मामले में दोनों तरफ से की गई बहस पूरी हो गई है. अदालत ने कल तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया है.