Friday, December 13, 2024

Indore: बेलेश्वर महादेव मंदिर में दिखी इंसानियत की मिसाल

Indore : हादसे अकसर इंसानियत की मिसालें पेश कर जाते है. मौत और ग़म के माहौल में न कोई धर्म मायने रखता है न जात…अगर कुछ काम आती है तो केवल इंसानियत. इंसानियत की एक बड़ी मिसाल रामनवमी के मौके पर इंदौर में हुए हादसे के बाद देखने के लिए मिली. इंदौर के बेलेश्वर महादेव मंदिर(BELWSHER MAHADEV TEMPLE) में रामनवमी के उत्सव के दौरान बावड़ी की छत ढह गई.  घटना स्थल से अबतक 35 से शव निकाले जा चुके हैं. 24 घंटे बाद भी रेस्क्यू का काम चल रहा है.

MAJID INDORE
Indore majid BALESHWER MAHADV TEMPLE
THE BHARATNOW

इंसानियत की रौशनी

गुरुवार दोपहर से बेलेश्वर महादेव मंदिर (BELWSHER MAHADEV TEMPLE) में रेस्क्यू का काम चल रहा है. पूरे इलाके में मातम पसरा है लेकिन इस गम के माहौल में उम्मीद और प्यार की एक ऐसी कहानी सामने आई जो गम के माहौल में भी एक नई रौशनी दिखाने वाली है ..

रामनवमी के मौके पर बंगाल, महाराष्ट्र, दिल्ली बिहार समेत कई जगहों से सांप्रदायिक तनाव और हिंसा की खबरों के बीच इंदौर के बेलेश्वर महादेव मंदिर में गंगा जमुनी तहज़ीब की एक मिसाल नजर आई. इस रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान एक ऐसा नाम सामने आया जिसने सबके दिलों को छू लिया. मंदिर की छत गिरने और भगदड़ को देख एक शख्स जो उस समय अपने गार्डन में पानी दे रहा था, दौड़ा चला आया.आनन फानन में उसने अपने 20-25 और साथियों को जो सिविल डिफेंस का हिस्सा थे उन्हें भी बुला लिया.

भीड़ को नियंत्रित किया.शुरुआती रेस्क्यू शुरु किया और फिर एनडीआरएफ और पुलिस की मदद में भी शिद्दत से लगा रहा.हादसा सुबह 11 से साढ़े 11 बजे के बीच हुआ था,और जब शाम के सात बजे तो इस सिविल डिफेंस की टीम में शामिल संजय को याद आया कि हाजी अब्दुल माजिद फारूकी जो सबसे पहले यहां दौड़े चले  आये थे उनके रोज़े चल रहे है. जैसे ही संजय ने वहां मौजूद लोगों को इसके बारे मे बताया तब वहां मौजूद लोगों ने इंतजाम किया और राहत बचाव कार्य में अपना इफ्तार का वक्त भूल चुके अब्दुल माजिद फारूकी को इफ्तार कराया गया.

वैसे तो मुश्किल हालातों में ऐसी मिसालें अक्सर देखने के लिए मिल जाती है.  इंसानियत की मांग भी यही है कि एक इंसान दूसरे की मदद करे लेकिन जब माहौल नफरत का बना हो तो आगे आकर मदद करना जरूर तारीफ के काबिल है. वैसे खुद हाजी अब्दुल माजिद फारूकी ने बताया की मंदिर की बावड़ी में कई ऐसे लोग फंसे थे जिनसे अकसर कॉलोनी में मुलाकात होती रहती थी. ऐसे में माजिद फारुकी ने एक अच्छे पड़ोसी का फर्ज़ भी निभाया  और कई लोगों की जान बचाने में मददगार साबित हुए.

इंसानियत परमोधर्म

कहते हैं ना कि इंसानियत की सेवा सबसे बड़ा धर्म है ,इसलिए अब्दुल माजिद ने खुद रोजे मे रहते हुए ना अपने भूख प्यास की चिंता की, ना ही हिन्दु मुसलमान सोचा, बल्कि केवल इंसानियत का ख्याल किया. वैसे भी इंसानियत की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म कहा गया है इसलिए अब्दुल माजिद की इंसानियत को सलाम

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