25 फरवरी पूर्णियां की रैली में तेजस्वी यादव ने कहा था कि जांच एजेंसियां हमारे घर होली खेलने आएंगी. 6 मार्च यानी होली से पहले सीबीआई पटना में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के घर पहुंच गई. बीजेपी भगाओ देश बचाओ इस रैली में बहुत कुछ ऐसा हुआ जिसे 6 मार्च के छापों से जोड़ के देखा जा सकता है लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या रैलियों में होने वाली बयानबाज़ियां अब छापों में भी तबदील होने लगेंगी.
तो चलिए सबसे पहले आपको बताते हैं कि 25 फरवरी को आखिर ऐसा क्या हुआ जो बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने एकदम सटीक भविष्यवाणी कर दी थी कि जांच एजेंसियां उनके घर होली खेलने आने वाली है.
तेजस्वी की सटीक भविष्यवाणी
तो पहले बात पूर्णियां की करते हैं. तो ये रैली इसलिए खास थी कि कई सालों बाद इस रैली में लालू यादव का भाषण हुआ था. हलांकि लालू किडनी ट्रांसप्लांट के चलते बिहार तो नहीं आए लेकिन वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उन्होंने कहा कि मुझे जानकर खुशी हुई कि पूर्णियां में लाखों लाख की संख्या में लोग एकजुट हुए हैं. ये बताता है कि भविष्य में जो लोकसभा का चुनाव होने वाला है उसमें ये महागठबंधन बीजेपी का सफाया करने के लिए तैयार है. हम और नीतीश एक हैं, आगे भी एकजुट रहेंगे. हमें कोई नहीं तोड़ सकता है. बिहार को आगे बढ़ाना है.
क्या लालू से डर गई बीजेपी
उधर बीजेपी भगाओ देश बचाओ रैली में लालू यादव बोले और इधर पटना की रैली में बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने उन्हें चेतावनी दे डाली. सुशील कुमार मोदी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को चेतावनी दी और कहा कि लालू याद रखें… अगर आपकी तीखी जबान बंद नहीं हुई तो आपको और केस झेलने पड़ेंगे.
जमीन के बदले नौकरी मामले में अबतक क्या-क्या हुआ
इस बात को अभी 10 दिन भी नहीं हुए और सीबीआई राबड़ी देवी के घर पहुंच गई. वैसे कहा तो ये जा रहा है कि ये छापेमारी नहीं बल्कि पूछताछ है जो नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में हो रही है. इस कथित घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, मीसा भारती, समेत 16 लोग नामजद हैं. यह मामला उस समय का है जब लालू प्रसाद यादव 2004 से 2009 तक रेल मंत्री हुआ करते थे. आरोप है कि उस दौरान लालू प्रसाद ने उम्मीदवारों से रेलवे के विभिन्न जोन में ग्रुप डी के पदों पर नौकरी के बदले अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर जमीन ली थी. पटना के रहने वाले कई लोगों ने अपनी जमीन आरजेडी सुप्रीमो के परिवार या उनकी एक निजी कंपनी जो कि पटना में थी, उसके नाम पर बेची थी. अभी 15 मार्च यानी 10 दिन बाद लालू यादव, राबड़ी देवी और मीसा भारती को इस मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश भी होना है. इसके लिए पहले ही समन दिया जा चुका है है.
इसके अलावा साल 2022 में भी कई बार इस मामले में सीबीआई ने छापेमारी की थी. इस मामले को लेकर लगातार लालू परिवार जांच एजेसियों के निशाने पर है.
भ्रष्टाचार के नाम पर छापा नीति क्या बीजेपी को पड़ेगी भारी
ये अकेला मामला नहीं है. कई और भी भ्रष्टाचार के मामले लालू परिवार पर चल रहे हैं लेकिन खुद डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव महागठबंधन की सरकार बनने पर जांच एजेंसियों को खुली चुनौती दे चुके हैं कि चाहे तो सीबीआई उनके घर पर अपना कार्यालय खोल लें लेकिन वो डरेंगे नहीं. सीबीआई के ताजा छापों पर भी उन्होंने कहा कि ”जिस दिन हमारी महागठबंधन की सरकार बनी थी तभी मैंने कहा था कि यह सिलसिला चलता रहेगा. अगर आप बीजेपी के साथ रहेंगे तो राजा हरिश्चंद्र कहलाएंगे लेकिन हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है,बिहार की जनता सब देख रही है.”
वैसे लालू परिवार के साथ भ्रष्टाचार चिपक सा गया है. लालू चारा घोटाले में जेल भी जा चुके हैं लेकिन ये भी तय है कि हाल के दिनों में जिस तरह से बीजेपी विपक्षी नेताओं को सीबीआई और ईडी का डर दिखा रही है उससे जनता के मन में आरोपी नेताओं के लिए सहानुभूति भी पैदा हो रही है. बिहार की राजनीति के जानकारों का भी मानना है कि छापेमारी तक ठीक है लेकिन अगर सीबीआई लालू परिवार के किसी भी सदस्य को गिरफ्तार करती है तो उसके खुद के पैर बिहार की ज़मीन से उखड़ जाएंगे.
अब खुद बीजेपी के हाथों पर लगी है भ्रष्टाचार की कालिख
वैसे भी कर्नाटक हो या अडानी मामला बीजेपी पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे हैं. ऐसे में दूसरों को भ्रष्टाचारी बताने का जमाना उसके लिए भी खतम हो गया है. खासकर दिल्ली में नगर निगम हार के बाद जिस तरह दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी की गई है उससे उसकी विश्वसनीयता पर भी सवाल उठ रहे हैं. खासकर तब जब हाल के नगर निगम के चुनाव में दिल्ली की जनता ने भ्रष्टाचार के आरोपों को दरकिनार कर आप को बहुमत से जिता दिया.
ऐसा लगने लगा है कि अब सीबीआई-ईडी की कार्रवाई बीजेपी को फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचाने का काम करेगी. खासकर तब जब कर्नाटक चुनाव में जीत के लिए बीजेपी को भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अपने पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की शरण में जाना पड़ा है जिनकी भ्रष्टाचारी इमेज से बचने के लिए बीजेपी ने बड़ी मुश्किल से उम्र का हवाला देकर उनसे किनारा किया था.