पटना: अभिषेक झा, ब्यूरोचीफ
हाल ही में राजधानी पटना में वरिष्ठ IAS अधिकारी के के पाठक (K K PATHAK) का वीडियो वायरल हुआ था. मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग के अपर मुख्य सचिव की मीटिंग के दौरान बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को अपशब्द कहे जाने का वीडियो सामने आया तो बवाल मच गया था. वायरल वीडियो में केके पाठक बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को गाली देते हुए सुने जा रहे थे.
#KKpathak
बिहार के गालीबाज IAS अफसर के. के. पाठक का एक और विडियो सामने आया है जिसमें वो भरी मीटिंग में अपशब्दों का इस्तेमाल करते सुनाई दे रहे हैं. pic.twitter.com/xKmfrK3ae5— THEBHARATNOW (@thebharatnow) February 4, 2023
केके पाठक (K K PATHAK) के बयान पर सीएम ने की थी जांच की अनुशंसा
इस वीडियो के वायरल होने के बाद राज्य में आईएएस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग हुई थी.विपक्षी दल के नेताओं ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला था और गालीबाज अफसर पर एक्शन लेने के लिए कहा था. वहीं वीडियो सामने आने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जांच के आदेश भी दिये थे. कहा था कि मुख्य सचिव इस मामले की जांच कर रहे हैं.
गालीबाज अफसर की जगह मामला उजागर करने वाले पर हुई कार्रवाई
अब इस मामले वीडियो सामने आने के बाद आईएएस के के पाठक (KK PATHAK) पर क्या कार्रवाई हुई ,ये किसी को पता नहीं है लेकिन केके पाठक का वीडियो रिकॉर्ड कर वायरल करने के मामले में दो लोगों को सस्पेंड कर दिया गया है. मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग ने पूर्वी चंपारण के पकड़ीदयाल और मधुबनी के बाबूबरही के अवर निबंधक को इस जुर्म में निलंबित किया है. इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी गई है. यानी अफसर की बदतमीजी को इजागर करने वाले के खिलाफ ही कार्रवाी कर दी गई है.
पूर्वी चंपारण जिले के पकड़ीदयाल के अवर निबंधक अहमद हुसैन और मधुबनी के बाबू बरही के सब रजिस्ट्रार प्रणव शेखर को निलंबित किया गया है. निलंबन से पहले 16 फरवरी को अवर निबंधक से स्पष्टीकरण की मांग की गई थी. पूछा गया था कि विभागीय बैठक का वीडियो रिकॉर्ड कर वायरल करने के जुर्म में क्यों ना आप को सस्पेंड किया जाए ? इन अधिकारियों ने स्पष्टीकरण का जवाब दिया लेकिन उसे संतोषजनक ना पाते हुए खारिज कर दिया गया. इसके बाद इन अधिकारियों को निलंबित किया गया है.
बिहार में हाल ही में IPS विकास वैभव का मामला भी सामने आया था. होमगार्ड की डीजी शोभा आहोतकर की बदतमीजी के खिलाफ उनके ही जुनियर अधिकारी ने शिकायत की लेकिन अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई उल्टा शिकायतकर्ता अफसर का तबादला स्वीकार कर लिया है. कुल मिलाकर कहा जाये तो बिहार में अफसरशाही हावी है, अफसरों के खिलाफ आवाज उठाने वाले अधिकारी और कर्मचारी तक चुप रहने पर विवस हैं.