Friday, November 28, 2025

नए साल में मकर संक्रांति कब है? जानें तारीख, स्नान-दान मुहूर्त, महा पुण्य काल, महत्व

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नए साल 2026 में मकर संक्रांति उस दिन होगा, जब सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. जिस क्षण सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा, वह सूर्य का मकर संक्रांति कहलाएगा. मकर संक्रांति को खिचड़ी, उत्तरायण आदि नामों से भी जानते हैं. मकर संक्रांति के दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं और उसके बाद अपनी क्षमता के अनुसार अन्न, वस्त्र, कंबल आदि का दान करते हैं. इससे सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है. आइए जानते हैं कि साल 2026 में मकर संक्रांति कब है? मकर संक्रांति पर स्नान और दान का मुहूर्त क्या है? मकर संक्रांति का महा पुण्य काल कब से है? मकर संक्रांति का महत्व क्या है?
2026 में मकर संक्रांति की तारीख

वैदिक पंचांग के अनुसार, सूर्य देव 14 जनवरी को दोपहर में 3 बजकर 13 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. ऐसे में मकर संक्रांति का क्षण दोपहर 3:13 पीएम पर होगा. इस आधार पर नए साल 2026 में मकर संक्रांति 14 जनवरी बुधवार को मनाई जाएगी. मकर संक्रांति का स्नान और दान भी 14 जनवरी 2026 को ही होगा.
मकर संक्रांति का महा पुण्य काल
14 जनवरी 2026 को मकर संक्रांति का महा पुण्य काल 1 घंटा 45 मिनट का होगा. महा पुण्य काल का प्रारंभ दोपहर में 3 बजकर 13 मिनट पर होगा और यह शाम को 4 बजकर 58 मिनट तक रहेगा.
मकर संक्रांति का पुण्य काल
नए साल में मकर संक्रांति का पुण्य काल 2 घंटे 32 मिनट तक रहेगा. उस दिन पुण्य काल दोपहर में 3 बजकर 13 मिनट पर शुरू होगा और शाम को 5 बजकर 45 मिनट तक मान्य होगा.
मकर संक्रांति का स्नान-दान मुहूर्त
मकर संक्रांति के दिन लोग ब्रह्म मुहूर्त से ही स्नान और दान करने लगते हैं. मकर संक्रांति वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रात:काल में 05:27 ए एम से 06:21 ए एम तक है. मकर संक्रांति पर आप महा पुण्य काल में स्नान कर सकते हैं. उस दिन स्नान के लिए महा पुण्य काल उत्तम माना जाता है.
2 शुभ योग में मकर संक्रांति
मकर संक्रांति के दिन 2 शुभ योग बनने वाले हैं. मकर संक्रांति को सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह में 07:15 ए एम से शुरू होगा, जो अगले दिन तड़के 03:03 ए एम तक रहेगा, वहीं अमृत सिद्धि योग भी 07:15 ए एम से 15 जनवरी को 03:03 ए एम तक है. सर्वार्थ सिद्धि योग में किया गया स्नान और दान आपके लिए पुण्य फलदायी होगा.
मकर संक्रांति का महत्व

    मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं. इस वजह से मकर संक्रांति को उत्तरायण भी कहते हैं. उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा जाता है.
    मकर संक्रांति के अवसर पर लोग खिचड़ी खाते हैं. लगभग सभी लोगों के घरों में दाल और चाल को मिलाकर खिचड़ी बनाई जाती है, जिसे घी और दही के साथ खाते हैं. इस वजह से मकर संक्रांति को खिचड़ी भी कहा जाता है.
    मकर संक्रांति के अवसर पर सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव की राशि मकर में आते हैं. इस वजह से लोग मकर संक्रांति के दिन​ तिल का दान करते हैं.

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