Sunday, September 8, 2024

राखी का त्योहार कब और कैसे शुरु हुआ?

रक्षा बंधन का त्योहार कब और कैसे हुआ इसे लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं.महारानी कर्णावती के हुमायू शंहशाह को लिखे गये पत्र की बात तो आधुनिक काल में कही जाती है,लेकिन हिंदु पौराणिक मान्यताओं में रक्षाबंधन के त्योहार की बात लगभग 6 हजार साल पुरानी मानी जाती है. ऐसी कई कहानियां हैं,जिससे राखी के त्योहार की महत्ता का पता चलता है.

एक बार भगवान श्रीकृष्ण को उनके चचेरे भाई शिशुपाल ने बेहद अपमानित किया,अपमान से नाराज श्रीकृष्ण ने शिशुपाल पर सुदर्शन चक्र चलाया. सुदर्शन चक्र जब शिशुपाल का वध करके वापस उनके हाथों में आया तो चक्र की धार से भगवान श्रीकृष्ण की तर्जनी उंगली घायल हो गई. उसी समय द्रैपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर भगवान कृष्ण के हाथों पर बांधा और गहरे घाव से बचाया.द्रौपदी के स्नेह को देखकर भगवान कृष्ण बेहद प्रसन्न हुए और द्रौपदी को वचन दिया कि वो जीवन भर उसकी रक्षा करेंगे.

एक कथा के अनुसार  भगवान विष्णु ने वामन का अवतार लिया.इस दौरान एक प्रसंग में वामन अवतार ने असुरों के राजा बलि से दान मांगा.अपनी दानवीरत के लिए विख्यात राजा बलि ने वामन से कहा मांगो जो मांगना है, इस पर वामन अवतार ने राजा से तीन पग जमीन मांगी. राजा बलि ने वामन को खुशी खुशी तीन पग जमीन दे दिया लेकिन वामन ने एक पग में पूरी पृथ्वी नाप ली. ये देखते ही राजा बलि को समझ आ गया है ये तो भगवान विष्णु हैं और उनकी परीक्षा के लिए आये हैं. ऐसे में जैसे ही वामन ने दूसरा पग उठाया राजा बलि ने अपना सिर उनके पैरों के नीचे रख दिया. वामन अवतार के रुप में आये भगवान विष्णु राजा बलि से बेहद प्रसन्न हुए और उनसे वर मांगने को कहा.राजा बलि ने वरदान में भगवान विष्णु को अपने द्वार पर खड़े रखने का वर मांगा.अब भगवान अपने ही वरदान में फंस गये. ऐसे में माता लक्ष्मी ने नारद मुनि से सलाह ली और राजा बलि को राखी बांधी. उपहार में माता लक्ष्मी ने राजा बलि से अपने पति को मांग लिया.

आधुनिक काल में ये माना जाता है कि रक्षाबंधन की परंरपरा राजपूती महिलाओं ने शुरु की. क्षत्राणी अपने प्रियजनों के युद्ध पर जाने के समय दुश्मनों से रक्षा के लिए उनकी कलाई पर रेशम का घागा इस प्रार्थना के साथ बांधती थी कि वो सकुशल युद्ध भूमि से लौट कर आयें. इतिहास में प्रसंग है कि मेवाड़ के सुल्तान को बहादुर शाह से बचाने के लिए चितौड़गढ़ की रानी कर्णावती ने हुमायूं को राखी भेजी थी, तब हुमायूं ने भी उन्हेंं बहन का दर्जा देकर उनकी जान बचाई थी.

 

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