23 नवंबर को रांची में आदिवासी सरना बचाओ महारैली की ओर से झारखंड महाभिषेक चर्च के खिलाफ प्रदर्शन होगा. इस कार्यक्रम में सरना समाज के लोग शामिल होंगे. आदिवासी सरना बचाओ महारैली के सदस्यों ने बताया कि पिछले 2 साल से झारखंड महाभिषेक चर्च अवैध रूप से आदिवासियों की भीड़ जुटाकर बीमारी ठीक करने की आड़ में धर्मांतरण का खेल, खेल रहा है. इसका पुरजोर विरोध होगा.
संगठन के सोमा उरांव ने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म और समाज की सुरक्षा के लिए धर्मांतरण जैसी गतिविधि का विरोध करने का अदिकार है. वहीं, दूसरी ओर क्रिश्चियन फ्रंट ने रैली पर रोक लगाने की मांग की है. फ्रंट के महासचिव प्रवीण कच्छप ने कहा कि आक्रौश महारैली के जरिये लोगों को चर्च के खिलाफ उकसाने का प्रयास हो रहा है.
प्रवीण ने कहा कि जिस दिन कैथोलिक कलीसिया का ख्रीस्त राजा पर्व है, उसी दिन महारैली बुलाकर माहौल बिगाड़ने की साजिश रची गयी है. वहीं आदिवासी सरना बचाओ महारैली का कहना है कि ख्रीस्त समाज की ओर से अक्सर सरना और इसाई को लड़ाने की बात की जाती है.
आदिवासी सरना बचाओ महारैली का आरोप
आदिवासी सरना बचाओ महारैली ने बताया कि ख्रीस्त समाज की ओर से अक्सर सरना समाज के पूजा स्थल और रूढ़ि परंपरा को नष्ट करने का प्रय़ास किया जा रहा है. संगठन के सोमा उरांव ने बताया कि ऑल इंडिया क्रिश्चियन माइनॉरिटी फ्रंट की ओर से रांची के उपायुक्त और एसएसपी को ज्ञापन सौंपकर आदिवासी सरना बचाओ महारैली के आक्रोश प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग की गई थी.
सोमा उरांव ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपने धर्म और समाज की सुरक्षा के लिए विरोध प्रधर्शन करने का अधिकार है.
क्रिश्चियन फ्रंट ने कार्यक्रम पर रोक लगाने की मांग की
इस बीच क्रिश्चियन फ्रंट ने कहा कि राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ द्वारा संचालित जनजातीय सुरक्षआ मंच ने 23 नवंबर को आक्रोश महारैली का आयोजन करके लोगों को चर्च के खिलाफ उकसाने की साजिश रची है. महाभिषेक चर्च के प्रार्थना स्थल को सुरक्षा देने की मांग भी की गई है.
उन्होंने कहा कि जिस दिन मसीही समुदाय शोभायात्रा निकालते हैं उसी दिन इसाई धर्म के खिलाफ आक्रोश महारैली होती है तो इससे सामाजिक एकता और सद्भाव पर नकारात्मक असर होगा. सरकार को इसपर संज्ञान लेना चाहिए.

