नई दिल्ली: क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने एक बार टैक्स अधिकारियों को यह कहकर चौंका दिया कि वे क्रिकेटर नहीं, बल्कि एक्टर हैं। यह जवाब न केवल बहस का मुद्दा बना, बल्कि इसी वजह से उन्होंने 58 लाख रुपये का इनकम टैक्स बचा लिया। हालांकि, यह मामला लगभग 22 साल पुराना है।
मामला क्या था?
वित्त वर्ष 2002–03 में सचिन तेंदुलकर ने ईएसपीएन, पेप्सी और विजा जैसी विदेशी कंपनियों से लगभग 5.92 करोड़ रुपये की विदेशी आय अर्जित की थी। यह रकम उनके विज्ञापन और कमर्शियल शूट्स से मिली थी। सचिन ने इस आय को क्रिकेट इनकम की बजाय सेक्शन 80आरआर के तहत दिखाया, जो अभिनेताओं, कलाकारों और लेखकों को विदेशी कमाई पर 30 प्रतिशत की टैक्स छूट देता है। इस प्रकार उन्होंने 1.77 करोड़ रुपये की कटौती का दावा किया।
टैक्स विभाग से टकराव
हालांकि यह दावा टैक्स अधिकारियों को रास नहीं आया। उन्हें नोटिस जारी करते हुए कहा गया, 'आप एक क्रिकेटर हैं; आपके विज्ञापन केवल सहायक आय हैं। इसे अन्य स्रोतों से आय के तहत दिखाएं, 80आरआर लागू नहीं होगा।' हालांकि, सचिन पीछे नहीं हटे। उन्होंने अपने जवाब में कहा, 'मैंने मॉडलिंग और एक्टिंग का काम किया है। यह अभिनय का पेशा है, इसलिए सेक्शन 80आरआर मुझ पर लागू होता है।'
सचिन के पक्ष में फैसला
मामला अंततः इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (ITAT) तक पहुंचा। ट्रिब्यूनल ने सचिन की दलील को सही ठहराते हुए कहा कि, 'अभिनय केवल बॉलीवुड फिल्मों तक सीमित नहीं है, बल्कि कोई भी ऐसा रचनात्मक प्रदर्शन जो कौशल, कल्पना और कला से जुड़ा हो, उसे भी अभिनय माना जा सकता है।' इस फैसले के बाद, सचिन को 1.77 करोड़ रुपये की पूरी कटौती मिल गई और उनका टैक्स लगभग 58 लाख रुपये कम हो गया।
क्यों खास है यह मामला
यह मामला भारतीय टैक्स कानून के इतिहास में एक दिलचस्प उदाहरण बन गया। इसने दिखाया कि कैसे रचनात्मक पेशों की परिभाषा व्यापक है, और विज्ञापनों में काम करना भी अभिनय के दायरे में आता है।

