डेस्क: लद्दाख (Ladakh) के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) की हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नोटिस जारी किया है. वांगचुक की पत्नी गीतांजलि आंग्मो की याचिका में NSA के तहत उनकी हिरासत को अवैध बताया गया है. जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन वी अंजारिया की बेंच ने याचिका पर केंद्र सरकार, लद्दाख प्रशासन और जोधपुर जेल अधीक्षक से जवाब दाखिल करने को कहा है.
गीतांजलि आंग्मो की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें डिटेंशन ऑर्डर की कॉपी नहीं दी गई. इसका जवाब देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वांगचुक को सारी जानकारी दी गई है. जोधपुर जेल में उनके भाई से उनकी मुलाकात भी करवाई गई है. इस पर सिब्बल ने कहा कि वांगचुक की अपने भाई और वकील से बात सिर्फ इंटरकॉम पर करवाई गई.
सिब्बल ने कहा कि कानून के अनुसार हिरासत में लिए गए व्यक्ति के परिवार को हिरासत के आधार लिखित रूप में बताए जाने चाहिए. तभी वह उसे कानूनी चुनौती दे सकते हैं. इस मामले में ऐसा नहीं हुआ. सिब्बल ने आग्रह किया कि हिरासत से जुड़े दस्तावेज वांगचुक की पत्नी को भी दिए जाएं.
कोर्ट ने कहा कि सरकार याचिकाकर्ता को हिरासत आदेश की कॉपी उपलब्ध करवाने पर विचार करे. इस पर मेहता ने कहा, ‘कानून के तहत इसे बंदी को दिया जा चुका है. हम पत्नी को भी इसकी कॉपी देने पर विचार करेंगे. हमें कोई विशेष आपत्ति नहीं है, लेकिन हम नहीं चाहते कि बाद में इसे नया आधार बना कर हिरासत को चुनौती दी जाए.’
सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को यह भी बताया कि याचिकाकर्ता (वांगचुक की पत्नी) ने जेल में उनसे मुलाकात का आवेदन दिया है. उनके अनुरोध पर विचार किया जा रहा है. इस पर जस्टिस कुमार ने कहा कि जोधपुर जेल प्रशासन जेल नियमों के अनुसार इस पर फैसला ले.
मेहता ने याचिका में लिखी इस बात पर सवाल उठाया कि सोनम वांगचुक को आवश्यक दवाइयों से वंचित रखा गया है. मेहता ने कहा, ‘उन्होंने खुद मेडिकल ऑफिसर के सामने कहा है कि वह किसी दवा पर नहीं हैं. यह सब सिर्फ मीडिया में भावनात्मक माहौल बनाने के लिए किया जा रहा है.’ इस पर कोर्ट ने निर्देश दिया कि कैदी को जेल नियमों के अनुसार जरूरी मेडिकल सुविधा दी जाए.