पन्ना: जिले के एक गांव में सांप के काटने से 24 घंटे के भीतर दो पड़ोसियों की मौत हो गई है। इस घटना से पूरे गांव में डर और सदमे का माहौल है। तिलंगवा के माजरा खंडिया इलाके के 39 वर्षीय बदन आदिवासी और 35 वर्षीय गीता आदिवासी की सांप के जहर से मौत हुई। स्थानीय पुलिस के अनुसार, दोनों की मौत अलग-अलग घटनाओं में हुई। दोनों परिवारों ने पहले झाड़-फूंक का सहारा लिया, जिससे अस्पताल पहुंचने में देरी हुई। बाद में ग्रामीणों ने उस सांप को मार डाला।
रात को सोते में कमर में काटा
पहली दुखद घटना 30 सितंबर की रात को हुई। रात करीब 11 बजे बदन आदिवासी अपने घर में सो रहे थे, तभी सांप ने उनकी कमर पर काट लिया। उनके परिवार ने तुरंत डॉक्टर के पास जाने के बजाय, उन्हें एक स्थानीय ओझा के पास ले जाकर झाड़-फूंक करवाई। दुर्भाग्य से, जब बदन की हालत बिगड़ी, तो अगले दिन उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों की कोशिशों के बावजूद, इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
24 घंटे में दूसरा शिकार
अगले दिन, 1 अक्टूबर की शाम को बदन की पड़ोसी गीता आदिवासी को भी उसी सांप ने काट लिया। वह सो रही थीं, तभी सांप ने उनकी गर्दन पर काटा। उनके परिवार ने भी पहले अहिरगांवा में झाड़-फूंक का इलाज करवाया। इससे अस्पताल पहुंचने में बहुत देर हो गई। जब तक वह जिला अस्पताल पहुंचीं, तब तक जहर उनके पूरे शरीर में फैल चुका था। डॉक्टरों की टीम उनकी जान नहीं बचा पाई।
गीता के घर में ही छुपा था सांप
इन लगातार मौतों से ग्रामीण बहुत परेशान हो गए। उन्होंने गीता के घर के अंदर छिपे उस घातक सांप को ढूंढ निकाला। ग्रामीणों ने लाठियों से मारकर उस सांप को मार डाला, जिसकी लंबाई 3 से 4 फीट बताई गई। कई स्थानीय लोगों ने पुष्टि की कि यह वही सांप था जिसने दोनों को काटा था। बताया जा रहा है कि वह जहरीला सांप करैत रहा होगा।
झाड़-फूंक के चक्कर में गई जान
जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने दोनों मामलों में इलाज में हुई देरी पर दुख जताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर समय पर इलाज मिल जाता तो इन जिंदगियों को बचाया जा सकता था। डॉक्टरों ने बताया कि झाड़-फूंक पर शुरुआती निर्भरता ने दोनों पीड़ितों के बचने की संभावना को बहुत कम कर दिया। इस दोहरी त्रासदी ने पन्ना जिले के ग्रामीण इलाकों में सांप के काटने की घटनाओं से जुड़ी जागरूकता और इमरजेंसी रिएक्शन प्लानिंग पर गंभीर चिंताएं बढ़ा दी हैं।