Thursday, October 2, 2025

मध्य प्रदेश में टोमेटो वायरस का अटैक, 12 साल तक के बच्चों में फैल रहा ये संक्रमण

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भोपाल: राजधानी में कोरोना के बाद इस समय स्कूली बच्चों में एक खास प्रकार का रोग फैल रहा है. जिसमें उनके हाथ, पैर, तलवों, गर्दन के नीचे और मुंह के अंदर लाल चकत्ते जैसे उभार आ जाते हैं जो बाद में फफोले बन जाते हैं. इससे बच्चों को खुजली, जलन और दर्द के साथ बुखार व गले में दर्द के लक्षण सामने आ रहे हैं. यह बीमारी संक्रामक है, जिससे मरीज के ज्यादा संपर्क में रहने वाले को भी होने की पूरी संभावना रहती है. इसीलिए भोपाल के कई स्कूलों ने इस बीमारी को लेकर अलर्ट जारी किया है. साथ ही बच्चों में ऐसे लक्षण दिखते ही उन्हें स्कूल नहीं भेजने की सलाह दी है.

'12 साल तक के बच्चे हो रहे प्रभावित'

हमीदिया अस्पताल के सीनियर चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. राजेश टिक्कस ने बताया कि "टोमेटो वायरस या फीवर की बात करें तो इसे साधारण भाषा में हैंड फुट माउथ डिजीज कहा जाता है. यह बीमारी इकोनी वायरस और काक्ससैकी वायरस से होती है. यह बीमारी सामान्यतः 6 महीने से लेकर 12 साल तक के बच्चों में होती है. इसमें बुखार के साथ उसके हाथ, पैर और मुंह के अंदर अलग-अलग रेशेस होते हैं." डॉ. राजेश टिक्कस ने बताया कि "मेडिकल में एक सिंडोमिक एप्रोच के साथ इसे फीवर विद रेशेस भी कहते हैं."

'संपर्क में आने से फैलता है संक्रमण'

टोमेटो फ्लू से संक्रमित व्यक्ति को छूने और उसके क्लोज कांटेक्ट से इस बीमारी के फैलने की पूरी संभावना होती है. इसके साथ ही खांसने और छींकने से भी वायरस मरीज के शरीर से अन्य लोगों में पहुंच सकता है. इसमें रेशेज के कारण कई बार बीमार बच्चों को खुजली, जलन और दर्द होता है. यह संक्रमण तलवे के नीचे, हाथ और गर्दन के नीचे और बटक्स के साथ मुंह में छाले के रुप में हो सकती है. टोमेटो वायरस से ग्रसित मरीजों में बुखार के साथ सर्दी-जुखाम के लक्षण भी देखने को मिलते हैं.

टोमेटो वायरस से इन बच्चों को खतरा

डॉ. टिक्कस ने बताया कि "सामान्य तौर पर टोमेटो फ्लू या हैंड फुट माउथ डिजीज गंभीर बीमारियों की श्रेणी में नहीं आता है. लेकिन यदि कोई मरीज जिसे वायरल इंफेक्शन हो या पहले से कोई बीमारी चली आ रही है, जैसे मरीज को हार्ट, लंग्स या अनुवांशिक बीमारी है, तो ऐसे बच्चों के इलाज में अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है." डॉ. टिक्कस ने बताया कि "यह जानलेवा बीमारी नहीं है, लेकिन इसका इलाज जरूरी है. यदि समय रहते इलाज न किया जाए तो यह वायरस अन्य लोगों के लिए भी घातक है."

'बच्चों को देते रहें लिक्विड पदार्थ'

डॉ. टिक्कस ने बताया कि "इस दौरान बच्चों के मुंह में छाले हो जाते हैं. ऐसे में बच्चों के खाने-पीने की समस्या होती है. जिससे बच्चे पानी नहीं पीते और बाद में यही डिहाइड्रेशन का कारण बनता है. बच्चों को डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए जरूरी है कि बीच-बीच में उन्हें तरल पदार्थ देते रहें. जैसे पतला दलिया और पतली खिचड़ी, इसके अलावा साबूदाने की खीर भी दी जा सकती है. इसके अलावा नारियल पानी और शिकंजी भी अच्छा विकल्प है. लेकिन जरूरी है कि डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए उसे पानी जरूर पिलाएं और हो सके तो बच्चे कितनी बार और कैसी टॉयलेट कर रहे हैं, इसका ध्यान भी रखा जाए."

नारियल तेल से कर सकते हैं इलाज

डॉक्टरों ने बताया कि बारिश के समय मौसम में नमी होती है. इसके साथ ही धूप भी तेज निकलने लगी है. ऐसा मौसम इंफेक्शन को प्रमोट करने में मदद करेगा. इसमें सामान्यतः दर्द और बुखार के लिए पैरासिटामाल दी जा रही है. इसके साथ ही घाव वाले स्थान पर मॉइस्चराइजर के रूप में नारियल का तेल लगाना चाहिए. वहीं, यदि 3 से 4 दिन में बुखार बंद न हो तो ऐसे मरीजों को डॉक्टरों को जरूर दिखाना चाहिए. डॉ. टिक्कस ने बताया कि "हमीदिया अस्पताल की ओपीडी में फीवर विथ रेशेस के 5 से 10 प्रतिशत मरीज प्रतिदिन पहुंच रहे हैं. इनमें अधिकतर हैंड फुट माउथ डिजीज से पीड़ित रहते हैं."

 

 

स्कूलों ने जारी किया अलर्ट

बता दें कि भोपाल में कई प्री स्कूल ऐसे हैं, जहां के बच्चों में टोमेटो वायरस देखने को मिला है. ऐसे स्कूलों में प्रबंधन ने अभिभावकों को इस बीमारी को लेकर अलर्ट किया है और ऐसे बच्चों को स्कूल नहीं भेजने की अपील की है. डॉ. टिक्कस ने बताया कि "चूंकि यह बीमारी एक से दूसरे में फैलती है. ऐसे में यदि हमारे बच्चे को यह बीमारी हो गई है तो उसे दूसरों बच्चों के संपर्क में न आने दें. ये हमारी सामाजिक जिम्मेदारी भी है. इसके साथ ही यदि बच्चों में इंफेक्शन है तो उसे स्कूल भेजना एवाइड करें. इसे ठीक होने में 6 से 8 दिन का समय लगता है. तब तक यदि आपके घर में दूसरा बच्चा है तो उसे भी रात में अलग सुलाएं."

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